एक जरूरी पहल

दिल्ली के लोगों को अब सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के लिए अंतहीन इंतजार नहीं करना होगा. यदि सरकारी अस्पतालों में 30 दिन के भीतर जरूरी सर्जरी नहीं हो पाती है या वहां जरूरी साजो-सामान की कमी है, तो मरीज को निजी अस्पताल भेजा जा सकता है जहां सर्जरी का सारा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2017 6:17 AM
दिल्ली के लोगों को अब सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के लिए अंतहीन इंतजार नहीं करना होगा. यदि सरकारी अस्पतालों में 30 दिन के भीतर जरूरी सर्जरी नहीं हो पाती है या वहां जरूरी साजो-सामान की कमी है, तो मरीज को निजी अस्पताल भेजा जा सकता है जहां सर्जरी का सारा खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी. मोहल्ला क्लीनिक और बजट में स्वास्थ्य पर अधिक आवंटन देने के बाद केजरीवाल सरकार की यह ताजा घोषणा दिल्लीवासियों के लिए बड़ी राहत की बात है.
यह बहुत दुखद है कि बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत उन देशों में शामिल है जो स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करते हैं. केंद्र सरकार ने नयी स्वास्थ्य नीति के तहत सकल घरेलू उत्पादन का 2.5 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य के मद में खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, पर अभी इसके पूरा होने में समय लगेगा. देश की बड़ी आबादी को आज भी बुनियादी चिकित्सा की सुविधा नहीं है. लोग सरकारी अस्पतालों की बदहाली से इतने परेशान हो चुके हैं कि जीवन रक्षा के लिए उन्हें निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है जहां सेवाओं के बदले मनमाना धन वसूला जाता है. दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में स्थित बड़े सरकारी अस्पतालों की हालत भी बहुत संतोषजनक नहीं है. गंभीर रूप से बीमार लोगों को भी बिस्तर मिलने में दिक्कत होती है. कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और लापरवाही का आलम तो किसी से छुपा हुआ नहीं है.
पैसे की कमी के कारण गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग बेबसी में सरकारी अस्पतालों में अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं. ऐसे में बीमारी के बढ़ने और मरीज की जान का ख़तरा भी बढ़ जाता है. उम्मीद है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस पहल से लाखों दिल्लीवासियों को फायदा मिलेगा. इससे पहले राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में दवाइयों के मुफ्त वितरण का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया था. ऐसी पहलों को कुछ लोग भले ही लोकलुभावन कह कर खारिज करने की कोशिश करें, पर सच यही है कि देश की बड़ी आबादी की गरीबी और कम आय को देखते हुए स्वास्थ्य पर अधिक सार्वजनिक खर्च करने की जरूरत है.
केंद्र और राज्यों की सरकारों को केजरीवाल सरकार की इन लोक कल्याणकारी योजनाओं से प्रेरणा लेकर अपने स्तर पर ऐसी ही पहलें करनी चाहिए. निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का खूब विस्तार हुआ है. स्वस्थ भारत की आकांक्षा को पूरा करने के लिए सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों को भी ठोस भागीदारी निभानी होगी. आशा है कि अन्य जगहों पर भी मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए सरकारें तत्पर होंगी.

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