सैन्य संसाधनों की कमी

सेना के पास जरूरी साजो-सामान की कमी काफी समय से चिंता की बात बनी हुई है. खबरों की मानें, तो उड़ी हमले की जांच के बाद सरकार ने सेना को तात्कालिक जरूरतों के लिए खर्च करने को धन और अधिकार दिये हैं. माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में समुचित मात्रा में हथियार और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2017 6:38 AM
सेना के पास जरूरी साजो-सामान की कमी काफी समय से चिंता की बात बनी हुई है. खबरों की मानें, तो उड़ी हमले की जांच के बाद सरकार ने सेना को तात्कालिक जरूरतों के लिए खर्च करने को धन और अधिकार दिये हैं. माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में समुचित मात्रा में हथियार और गोली-बारूद नहीं होने की बात रेखांकित की गयी है. दो साल पहले सीएजी की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि युद्ध की स्थिति में सेना के पास लड़ने के लिए 10 दिन का गोला-बारूद है. नौसेना और वायुसेना के हवाले से भी खबरें आती रहती हैं कि रख-रखाव के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं तथा कई चीजें पुरानी पड़ चुकी हैं.

अफसरों की कमी भी एक समस्या है. कुछ समय पहले ही सेना ने मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सरकारी आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की बनायी स्वदेशी असॉल्ट रायफलों को वापस कर दिया था. ऐसा पिछले साल भी हुआ था. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सैन्य साजो-सामान की कमी के लिए बोर्ड को दोषी माना था. यह बोर्ड सेना की जरूरतों का सही आकलन ही नहीं करती है और इसी कारण वह सरकार से जो खर्च सैन्य सामग्री के लिए मांगती है, वह हमेशा सेना की अपेक्षाओं से कम होता है.

भारतीय फौज को फिलहाल तीन लाख अत्याधुनिक रायफलों की जरूरत है. सरकार ने 1.85 लाख रायफलों की खरीद की प्रक्रिया तेज की है और साथ ही, अन्य आयुधों को खरीदने के लिए मंजूरी दी जा रही है. रिपोर्टों के अनुसार, सरकार सेना की आपात और तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए अगले कुछ सालों में 40 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध करा सकती है. उड़ी हमले के बाद सेना को अल्प अवधि के लिए आपात खरीद के अधिकार दिये गये थे. मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में रक्षा मद में महज छह फीसदी की बढ़त की गयी थी. कुल घरेलू उत्पादन का सिर्फ 1.63 फीसदी रक्षा मद के लिए निर्धारित है जो कि 1962 के बाद से सबसे कम है. आवंटन का बहुत बड़ा हिस्सा वेतन और प्रशासन पर खर्च हो जाता है. ऐसे में हथियारों, गोला-बारूद, वाहनों और कल-पूर्जों की खरीद का काम लटका रहता है.

कुछ पड़ोसी देशों के आक्रामक रवैये और आतंकी घुसपैठ की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए साजो-सामान भरपूर मात्रा में उपलब्ध होने चाहिए. सेना आपदा और आंतरिक अशांति की स्थिति में भी मदद के लिए आगे रहती है. उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में धन आवंटित करने के साथ खरीद संबंधी निर्णय लेने में तत्परता से अग्रसर होगी.

Next Article

Exit mobile version