चीनी रवैये पर सतर्क रहें

कश्मीर के हालात के मद्देनजर सेना प्रमुख ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सेना ढाई मोरचों पर युद्ध के लिए तैयार है. देश की सीमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए फौजी मुस्तैदी जरूरी है, लेकिन ध्यान रखना होगा कि युद्ध के लिए तैयार रहने और युद्ध के लिए उत्सुक होने में बहुत फर्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 6:48 AM

कश्मीर के हालात के मद्देनजर सेना प्रमुख ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सेना ढाई मोरचों पर युद्ध के लिए तैयार है. देश की सीमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए फौजी मुस्तैदी जरूरी है, लेकिन ध्यान रखना होगा कि युद्ध के लिए तैयार रहने और युद्ध के लिए उत्सुक होने में बहुत फर्क है. युद्ध के लिए तैयार होना आत्मरक्षा के लिए होता है, परंतु युद्ध के लिए उत्सुक होना किसी देश पर सैन्य और आर्थिक दबदबा कायम करने का औजार भी हो सकता है.

अगर कोई देश फौजी दबदबा कायम करने के लिए दूसरे देश को दो मोर्चों पर युद्ध के लिए उकसा रहा हो, तो बुद्धिमानी धीरज खोने में नहीं, बल्कि सतर्कता बरतते हुए स्थिति को कूटनीतिक पहलों द्वारा अपने पक्ष में मोड़ने में है. युद्ध के लिए सदा उत्सुक दो राष्ट्रों- पाकिस्तान और चीन- के बरक्स भारत फिलहाल इसी स्थिति का सामना कर रहा है. भारत को कश्मीर में पाकिस्तान की शह पाये आतंकियों से निबटना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ सिक्किम और भूटान से लगते सीमा-क्षेत्र के डोकलाम में चीन की आक्रामकता का सामना करना पड़ रहा है.

कश्मीर में पाकिस्तान ने अपनी कार्रवाई की रणनीति बदलते हुए स्कूली बच्चों और शिक्षकों को निशाना बनाना शुरू किया है, साथ ही दुष्प्रचार का सहारा लेकर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की कोशिश में लगा है. पाकिस्तान की आतंकी जमातों ने यह दुष्प्रचार फैलाना शुरू किया है कि कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबल रासायनिक हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे दुष्प्रचार से भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. दूसरे, डोकलाम में जारी जबरिया निर्माण-कार्य को जायज ठहराने के लिए चीन रणनीतिक तौर पर पाकिस्तान के भारत-विरोध को हवा दे रहा है.

पहले चीनी मीडिया ने कहा कि भूटान से लगती चीनी सीमा पर निर्माण-कार्य रोकने के लिए भारत की फौज आ सकती है, तो दो देशों (भारत-पाक) के बीच ‘विवादित’ कश्मीर को लेकर वहां किसी और देश (जाहिर है चीन) की सेना क्यों नहीं आ सकती? चीन अड़ा हुआ है कि भारत डोकलाम से अपनी सेना वापस करे, और वह गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दे रहा है, जबकि डोकलाम इलाके में चीन की सड़क बनने का एक मतलब निकलता है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में चीनी पहुंच का आसान होना.

भारत के लिए राह यह नहीं कि युद्ध को उत्सुक दो राष्ट्रों चीन और पाकिस्तान के उकसावे में आकर वह भी युद्ध की दुंदुभि बजाये, बल्कि समाधान का रास्ता द्विपक्षीय संवाद तथा वैश्विक स्तर पर समर्थन जुटाने की कोशिशों से निकाले.

Next Article

Exit mobile version