सत्तारूढ़ सरकार की बांग्लाभाषा संबंधी गलत अधिसूचना जारी होते ही पहाड़ उबलने लगा. मुख्यमंत्री द्वारा पहाड़ पर विभिन्न समुदायों जैसे राई, लेपचा और शेरपा के लिए अलग-अलग विकास परिषदों का गठन किये जाने से भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नाखुश था और सरकार की आर्थिक मदद उनके विकास परिषदों के लिए जाने लगी थी, जिससे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का महत्व कम हो गया था.
ममता को समस्या की तरफ ध्यान देना जरूरी है. उनसे काफी अपेक्षा थी, लेकिन दुख की बात है कि प्रशासन उत्तर 24 परगना से लेकर दार्जिलिंग की हिंसा पर काबू पाने में विफल रही हैं और इसी कारण आज दार्जिलिंग जल रहा है.
कांतिलाल मांडोत, इमेल से