माप-तौल विभाग लुप्त हो गया है क्या?

वर्षो पहले माप-तौल के अधिकारी संबंधित क्षेत्रों में औचक छापा मार कर वहां के व्यवसायियों के तराजू-बटखरों, गज-मीटर की जांच तत्परता से करते थे. इससे व्यवसायियों में खलबली मची रहती थी और वे सचेत रहते थे. अब न तो इस विभाग के अधिकारी आते हैं, न कर्मचारी. इसका भरपूर नाजायज फायदा फल-सब्जी बिक्रेता से लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2014 4:44 AM

वर्षो पहले माप-तौल के अधिकारी संबंधित क्षेत्रों में औचक छापा मार कर वहां के व्यवसायियों के तराजू-बटखरों, गज-मीटर की जांच तत्परता से करते थे. इससे व्यवसायियों में खलबली मची रहती थी और वे सचेत रहते थे. अब न तो इस विभाग के अधिकारी आते हैं, न कर्मचारी. इसका भरपूर नाजायज फायदा फल-सब्जी बिक्रेता से लेकर किराना दुकानदार तक उठा रहे हैं.

दुकानदार से खरीदा गया एक किलो सामान 800-900 ग्राम तक ही रहता है. कारण कि ये लोग बटखरे के पीछे लगा रांगा निकाल देते हैं. अब तो बटखरे भी कम वजन के बनाये जाने लगे हैं. कमरतोड़ महंगाई और ऊपर से उपभोक्ताओं को चूना लगाते ये व्यवसायी. क्या इन पर नकेल कसनेवाला कोई नहीं है? अपने अधिकारियों-कर्मचारियों की निष्क्रियता से माप-तौल विभाग दादी-नानी की कहानी बन चुका है.

विशाल कुमार, गोमिया, बोकारो

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