क्या ऐसे संभव है शिक्षा का अधिकार?
अप्रैल 2010 में केंद्र ने शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) कानून लागू तो कर दिया, लेकिन तैयारी अब तक अधूरी है. आये दिन सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर चलाने की बातें होती हैं, लेकिन आज भी सरकारी विद्यालयों में न आधारभूत सुविधाएं हैं और न ही शिक्षकों का सही अनुपात. अधिकतर विद्यालयों में […]
अप्रैल 2010 में केंद्र ने शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) कानून लागू तो कर दिया, लेकिन तैयारी अब तक अधूरी है. आये दिन सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर चलाने की बातें होती हैं, लेकिन आज भी सरकारी विद्यालयों में न आधारभूत सुविधाएं हैं और न ही शिक्षकों का सही अनुपात. अधिकतर विद्यालयों में न तो चहारदीवारी है और न ही शौचालय की पर्याप्त सुविधा. ज्यादातर विद्यालयों में सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है.
हमारे पड़ोसी विद्यालय को दो वर्ष पूर्व उच्च विद्यालय में तब्दील किया गया है, लेकिन यहां आज भी मात्र दो ही शिक्षक कार्यरत हैं. वर्तमान वर्ष में वार्षिक परीक्षा का हाल भी खराब हो गया. एक ओर जहां प्रश्नपत्र की कमी थी, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को चुनाव प्रशिक्षण में व्यस्त कर दिया गया. ऐसे में क्या खाक पढ़ाई होगी?
माणिक मुखर्जी, कांड्रा