जनमत के विपरीत

बिहार में नीतीश कुमार ने जो किया है या हुआ, उसे राजनीति की संज्ञा नहीं दी जा सकती. राजनीति और शासन व्यवस्था को मजाक बना कर रख दिया गया है. पांच बार सीएम बने और तीन बार इस्तीफा देकर छठी बार शपथ ग्रहण किया. इसे स्वार्थ सिद्धि की राजनीति कहना गलत नहीं होगा. भाजपा का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2017 6:27 AM
बिहार में नीतीश कुमार ने जो किया है या हुआ, उसे राजनीति की संज्ञा नहीं दी जा सकती. राजनीति और शासन व्यवस्था को मजाक बना कर रख दिया गया है. पांच बार सीएम बने और तीन बार इस्तीफा देकर छठी बार शपथ ग्रहण किया. इसे स्वार्थ सिद्धि की राजनीति कहना गलत नहीं होगा.
भाजपा का साथ छोड़कर लालू प्रसाद यादव के साथ आये और फिर वापस भाजपा की गोद में जा बैठे. जिसकी आलोचना करते रहे अब उसी का महिमा मंडन करते नजर आ रहे हैं. निश्चित रूप से नीतीश सरकार ने जनमत के विपरीत दिशा में कार्य किया है. उनका अब यह कहना कि जनता ने किसी एक परिवार के लिए नहीं जनसेवा हेतु चुना था, तो यह बात 20 माह पहले समझ में क्यों नहीं आया था?
गुलाम गौस आसवी, मदनाडीह, धनबाद

Next Article

Exit mobile version