राज्य के विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति चिंताजनक है. प्राथमिक विद्यालय हो अथवा माध्यमिक विद्यालय, न तो शिक्षक समय पर आते हैं और न ही छात्र. लड़कों से स्कूल में साफ-सफाई का काम कराया जाता है.
यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. विद्यालय के भवन का नहीं होना अथवा जर्जर हाल में होना भी एक दर्दनाक तसवीर है. बेंच-टेबुल भी अधिकांश विद्यालयों में उपलब्ध नहीं है. समय पर न तो किताबें मिलती है और न ही स्टेशनरी. पारा शिक्षकों के भरोसे अधिकांश स्कूल चल रहे हैं. उनकी योग्यता भी एक गंभीर मसला है. सभी की सामूहिक जिम्मेवारी और कर्त्तव्य है कि शिक्षा की स्थिति में सुधार लाएं. इसके लिए गंभीर और संवेदनशील होने की बड़ी आवश्यकता है .
युगल किशोर ,रांची