टमाटर को सलाम
आम का सीजन अब निकलने को है, पर इस बार मंडी में महफिल टमाटर ने लूट ली है. जो टमाटर हर दूसरे सीजन में ट्रक भर-भर कर सड़कों पर लुढ़कता रहता था, इस बार वह लोगों को सड़कों पर ले आया है. समय कैसे अपने खेल दिखाता है कि राजा आम बिलकुल आमजन की दर्दभरी […]
आम का सीजन अब निकलने को है, पर इस बार मंडी में महफिल टमाटर ने लूट ली है. जो टमाटर हर दूसरे सीजन में ट्रक भर-भर कर सड़कों पर लुढ़कता रहता था, इस बार वह लोगों को सड़कों पर ले आया है. समय कैसे अपने खेल दिखाता है कि राजा आम बिलकुल आमजन की दर्दभरी फीलिंग से युक्त हो गये हैं और टोकरी का टमाटर मंडी में ताज पहन घूम रहा है.
मीडिया कर्मी के लिए टमाटर का इंटरव्यू हॉट ब्रेकिंग न्यूज बन सकता है. टमाटर से पूछा जाना चाहिए कि सामंती आम से ताज छीन कर आपको कैसा लग रहा है. हो सकता है कोई स्वाभिमानी टमाटर मीडिया कर्मी को सड़े टमाटर भी न डाले और झिड़क दे कि अब काहे मुंह उठा कर इधर झांके हो? बरसों से हमारी उपेक्षा होती रही, तब कहां थे?
जब लोग हमारी सिर्फ दो रुपये की इज्जत भी नहीं समझते थे, तब प्रेम किधर था? बुरे वक्त में कभी याद नहीं किया और आज चले आये सड़े आम जैसा मुंह लेकर. हमारा बुरा वक्त था, तब राजा आम के सामने मुंह झुकाये खड़े थे. जाओ आम के लिए ब्रेकिंग चलाओ, नहीं तो वो तुम्हारा आचार डाल देगा.
गुस्से में स्वाभिमानी टमाटर के रौद्र लाल रूप से मीडिया कर्मी भागते नजर आयेंगे. ग्राउंड रिपोर्ट करते-करते खुद की टमटम बनने पर कसम खायेंगे कि टमाटर की बाइट लेने नहीं जाना, चाहे राजा आम कल रंक बनता हो, तो बन जाये! टमाटर का यह रूप देख स्टूडियो में बैठे एंकरों को भी पसीने छूट जायेंगे और वे टमाटर से प्रश्न दागने की जगह ब्रेक पर भागते नजर आयेंगे.
लेकिन, हो सकता है कोई नेता टाइप टमाटर इस अवसर को भुनाने के लिए अपने समाज के दमन-उपेक्षा को उचका कर उसमें से मुंह ऊपर निकाल इंटरव्यू के लिए तैयार हो जाये और टमाटर समाज के टिमटिमाते वर्तमान को जगमगाते भविष्य में बदलने के सब्जबाग दिखाने लगे. फिर देश-विदेश के बाजारों में टमाटरों का राज होने के स्वप्न दिखा कर युवा टमाटर वर्ग में हर्ष फैला कर ‘जय टमाटर राज की’ के नारे से मंडी को गूंजा दे!
फिर नेता टमाटर को लगे कि ये युवा मुंडे टमाटर कहीं दल बदल कर राजन आम के साथ चाकरी पर न चले जायें. सो युवा टमाटर को साथ जोड़े रखने के लिए, राजन आम के कारण सदियों से होती आ-रही, टमाटर समाज की दुर्दशा पर लेक्चर की चटनी बना कर पेश करेगा. फिर भी मन नहीं माना तो शोषित-उपेक्षित टमाटर के लिए मंडी में आरक्षण की वकालत कर टमाटर समाज का दिल जीत लेगा. भाई! टमाटरों के नेता की महिमा टमाटर ही जाने, आम की क्या बिसात!
और इधर राजन आम से उनका पक्ष पूछा जायेगा, तो वे अपने प्रीवी पर्स की मांग के साथ कहेंगे कि उगते टमाटर को सभी सलाम करते हैं.