24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चोटी की महिमा

क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने राजा नंद से लड़ाई होने पर अपनी चोटी खोल दी थी. और कसम ली थी कि जब तक नंद वंश का समूल नाश नहीं हो जायेगा, तब तक चोटी में गांठ नहीं लगाएंगे. उस जमाने में बहुत से पुरुष चोटी रखते थे. […]

क्षमा शर्मा

वरिष्ठ पत्रकार

चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने राजा नंद से लड़ाई होने पर अपनी चोटी खोल दी थी. और कसम ली थी कि जब तक नंद वंश का समूल नाश नहीं हो जायेगा, तब तक चोटी में गांठ नहीं लगाएंगे. उस जमाने में बहुत से पुरुष चोटी रखते थे.

पहले हमारे यहां किसी लड़की की सुंदरता में उसके बालों का वर्णन भी जरूर किया जाता था. और कहा जाता था कि जब वह बाल खोलती है, तो ऐसा लगता है कि काली घटा छा गयी है. और जब चोटी बनाती है, तो उसकी चोटी पांवों को छूती है. लंबे बाल कैसे हों, इसके भी हजारों नुस्खे पहले मौजूद थे.

एक बार मिसेज माथुर से मेरी मुलाकात हुई थी. उनके बाल इतने अधिक घने और लंबे थे कि अगर वह जूड़ा बांधने की कोशिश करतीं, तो लगता सिर पर काली भारी-भरकम टोकरी रखी हो. वह कहती थीं कि अकेली कभी अपने बालों को न धो सकती हैं, न संवार सकती हैं. घर की तीन महिलाएं उनके बालों को धोती थीं. और सूखने पर चोटी बनाती थीं.

हिंदी साहित्य और संस्कृत साहित्य औरतों की केश महिमा से भरा पड़ा है. यहां तक कि चित्रकला और मूर्तिकला में भी स्त्रियों के बहुत लंबे, घने और कहीं-कहीं घुंघराले बाल दिखायी देते हैं. हमारे पुरातन लोककथाओं में तो किसी के नदी में बहते बाल देख कर ही राजा लोग प्रण कर लेते थे कि विवाह करेंगे तो उसी लड़की से, जिसका यह बाल है. जिसके बाल इतने सुंदर हैं, आखिर वह कितनी सुंदर होगी. हालांकि, यह बात भी सच है कि जब औरतें घर से बाहर ही नहीं निकलती थीं, तो अपने बालों की चोटी ही बांध सकती थीं. उस जमाने में आज की तरह कोई ब्यूटी पार्लर तो थे नहीं कि जाकर बाल कटवा आयें.

लेकिन, जब से शक्तिशाली औरत की पहचान कटे और हवा में लहराते बालों को बनाया गया, तब से चोटी हमारे परिदृश्य से गायब हो गयी. इसे गायब करने में विज्ञापनों, बाॅलीवुड और टीवी का भी बहुत बड़ा हाथ है.

आखिर इन माध्यमों में कार्यरत महिलाओं की कब से चोटी नहीं देखी गयी. पहले जमाने में तो बड़ी से बड़ी नायिकाएं- मीना कुमारी से लेकर वैजयंतीमाला तक अपनी चोटी लहराती फिरती थीं. लेकिन, आज किसी फिल्म में किसी हीरोइन की चोटी नहीं दिखायी पड़ती. इस कटे बाल वाली स्त्री छवि का परिणाम है कि आज शहरों की तो छोड़िये, गांवों में भी बच्चियों की चोटियां बहुत कम दिखायी देती हैं.

पहले एक-दूसरे की चोटी खींच कर भाग जाना खेल हुआ करता था. इसलिए खेलते वक्त लड़कियां चोटी का कस कर जूड़ा बांध लेती थीं. जिससे कि चोटी न किसी के हाथ पड़े और न खींची जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें