हिंसा के लिए हालात जिम्मेदार

साधारणत: लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य की राजनीतिक व्यवस्था में आम आदमी खुद को इतना लाचार पा रहा है कि विरोध के लिए हिंसा का सहारा ले रहा है. सरकारी नीतियों का कुशलतापूर्वक संचालन न होने से आम आदमी नेताओं के लिए स्याही, जूता, थप्पड़ आदि जैसे हिंसक कार्यो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2014 5:06 AM

साधारणत: लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य की राजनीतिक व्यवस्था में आम आदमी खुद को इतना लाचार पा रहा है कि विरोध के लिए हिंसा का सहारा ले रहा है. सरकारी नीतियों का कुशलतापूर्वक संचालन न होने से आम आदमी नेताओं के लिए स्याही, जूता, थप्पड़ आदि जैसे हिंसक कार्यो का सहारा ले रहा है.

जनप्रतिनिधि के पाला बदल कर विलासिता वाली शासन करनेवाली राजनीति ने लोगों को आहत कर दिया है. समाज में व्याप्त भ्रष्टचार, महंगाई, बेरोजगारी, प्रशासनिक निष्क्रियता ने लोगों को ऐसे कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है. मौजूदा स्थिति के ही अन्ना क्र ांति, दामिनी आंदोलन की वजह बनी. आज की सरकारी विफलता ही नक्सलवाद, अलगाववाद जैसी स्थिति को उत्पन्न कर रही है. सरकार इसे नहीं समङोगी तो बदलने के लिए तैयार रहे.

इंदु भूषण सिन्हा, बरवाडीह, लातेहार

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