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चीन की धमकी और अपनी तैयारी

डोकलाम विवाद पर चीन की सरकारी मीडिया रिपोर्ट को कुछ विशेषज्ञ गीदड़ भभकी बता रहे हैं. हमें 1962 के युद्ध को नहीं भूलना चाहिए. मुझे अपनी सेना और सरकार पर पूरा भरोसा है, लेकिन क्या भारतीय सेना वाकई दो मोर्चों पर युद्ध करने के लिए तैयार है? जहां युद्धक विमानों के 40-42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता […]

डोकलाम विवाद पर चीन की सरकारी मीडिया रिपोर्ट को कुछ विशेषज्ञ गीदड़ भभकी बता रहे हैं. हमें 1962 के युद्ध को नहीं भूलना चाहिए. मुझे अपनी सेना और सरकार पर पूरा भरोसा है, लेकिन क्या भारतीय सेना वाकई दो मोर्चों पर युद्ध करने के लिए तैयार है? जहां युद्धक विमानों के 40-42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता होगी, वहां हमारे पास मात्र 32 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं.
फिर, कैग की रिपोर्ट ने तो युद्ध के लिए गोला-बारूद की उपलब्धता के संबंध में भी चिंताएं बढ़ा दी हैं. भारत को एशिया और एशिया के बाहर के अपने मित्र देशों का सहयोग लेना ही होगा. इसके अतिरिक्त चीन पर अंतरराष्ट्रीय दवाब बनाने के लिए भूटान के माध्यम से डोकलाम मसले को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाना चाहिए.
चंदन कुमार, देवघर

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