कब तक ऐसे सवाल
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना वाले बयान की निंदा होनी चाहिए. कुछ लोग राजनीतिक वजहों से ऐसे मामलों को तूल देते हैं. प्रश्न यह है कि बार-बार देश में राजनयिकों व उच्च पदों पर आसीन अन्य लोगों द्वारा इस तरह का बयान दिया जाना कहां तक जायज है? […]
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना वाले बयान की निंदा होनी चाहिए. कुछ लोग राजनीतिक वजहों से ऐसे मामलों को तूल देते हैं. प्रश्न यह है कि बार-बार देश में राजनयिकों व उच्च पदों पर आसीन अन्य लोगों द्वारा इस तरह का बयान दिया जाना कहां तक जायज है?
देश में अल्पसंख्यक कहने का अर्थ केवल मुस्लिमों को सामने खड़ा कर क्यों बोला जाता है? सिख, बौद्ध, जैन आदि की परेशानी कभी नेताओं, अधिकारियों व मीडिया को क्यों नहीं दिखायी देती है? आजादी के 70 वर्ष बाद शीर्ष पदों पर रहने व देश का प्रतिनिधित्व करनेवाले जिम्मेदार व्यक्तियों को इस तरह के वक्तव्यों से बचना चाहिए.
हरिशचंद्र महतो, गांव- बेलपोस, इमेल से