उम्मीद की एक किरण तो जगती ही है

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने एक अहम संदेश दिया है. ‘कश्मीर समस्या न गाली से सुलझेगी, न गोली से, यह सुलझेगी तो केवल कश्मीरियों को गले लगाने से’- प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान ‘कश्मीरियत,जम्हूरियत और इंसानियत के दायरे’ के भाव से पूरी तरह समानता रखता है. आतंक के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2017 6:28 AM
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने एक अहम संदेश दिया है. ‘कश्मीर समस्या न गाली से सुलझेगी, न गोली से, यह सुलझेगी तो केवल कश्मीरियों को गले लगाने से’- प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान ‘कश्मीरियत,जम्हूरियत और इंसानियत के दायरे’ के भाव से पूरी तरह समानता रखता है.
आतंक के पोषक चंद अलगाववादियों ने ही देशभर में ऐसा माहौल बना रखा है कि घाटी में तमाम लोग आतंकियों के समर्थक हैं. उन्होंने उग्रवाद व अलगाववाद के प्रति सख्ती से निपटने का इशारा करके साफ कर दिया है कि राष्ट्रविरोधी ताकतों को माकूल जवाब दिया जाएगा. हालांकि उनके बयानों से घाटी की सूरत कितनी बदलती है, यह तो वक्त ही बताएगा, फिर भी उम्मीद की एक किरण तो जगती ही है.
नीरज मानिकटाहला, हरियाणा, इमेल से

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