नेता जी हैं जोश में जनता साधे मौन

16वें लोकसभा चुनाव के लिए देश कमर कस चुका है. अगर सब ठीक रहा, तो 41 दिन बाद दिल्ली में नयी सरकार सत्तारूढ. हो जायेगी. सरकार किसकी बनेगी, उसमें झारखंड का कितना योगदान होगा, यह काबिलेगौर होगा. चुनाव इतना करीब है, पर जनता में उस किस्म की सरगर्मी नहीं है. हां, सभी दलों के केंद्रीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2014 3:43 AM

16वें लोकसभा चुनाव के लिए देश कमर कस चुका है. अगर सब ठीक रहा, तो 41 दिन बाद दिल्ली में नयी सरकार सत्तारूढ. हो जायेगी. सरकार किसकी बनेगी, उसमें झारखंड का कितना योगदान होगा, यह काबिलेगौर होगा. चुनाव इतना करीब है, पर जनता में उस किस्म की सरगर्मी नहीं है. हां, सभी दलों के केंद्रीय नेता जगह-जगह चुनाव प्रचार जरूर कर रहे हैं.

इन चुनावी रैलियों में भीड. भी हो रही है. यह भीड. दलों के समर्थकों की है या अपने गांव में हेलीकॉप्टर देखने की ललक का नतीजा, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा. इतना जरूर है कि आजादी के करीब 66 साल बाद अब जनता इस हद तक चालाक हो चुकी है कि आप अंतिम समय तक जान ही नहीं सकते कि वह अपना वोट किस पार्टी या प्रत्याशी को देगी. नेताओं के लोक-लुभावन वादे सुन कर ताली बजानेवाले मतदाता से पूछिए कि आप किसको वोट देंगे, तो वह गोल-मटोल जवाब देता है. उसकी नजर में सब एक-जैसे हैं.

उसको तो सबने छला है. उसकी झोपड.ी तो आज तक गुलजार नहीं हो सकी है. झारखंड का पलामू, गढ.वा, लातेहार, चतरा क्षेत्र हो, या संताल परगना का दुमका-गोड्डा और जामताड, सभी इलाके आज भी विकास की बाट जोह रहे हैं. धनबाद का कोयलांचल हो या कोल्हान प्रमंडल सब बदहाल हैं. दूर क्या जाना झारखंड की राजधानी रांची और उसके आसपास के इलाके भी विकास नहीं कर पाये हैं. दिलचस्प तथ्य यह है कि झारखंड में केंद्र सरकार की तमाम सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन भी नहीं हो सका.

मनरेगा हो या राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, सब में धांधली और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है. आज भी झारखंड के बहुत से गांवों में बिजली नहीं पहुंच सकी है. अस्पताल और स्कूल से भी वंचित हैं अधिकांश इलाके. जनता सब समझ रही है. सुन सब की रही है लेकिन उसे क्या करना है, यह राज नहीं खोल रही. इस बार झारखंड की एक-एक सीट पर जीत का गणित पूरी तरह उलझा हुआ है. कोई प्रत्याशी दिल से आश्वस्त नहीं है कि वही जीतेगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि झारखंड की जनता इस बार किसी भी हवा-हवाई नेता को संसद नहीं भेजेगी. जो भी जीतेगा वह झारखंड को आगे ले जाने की कोशिश करेगा.

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