पांच बहनों को सलाम
आतिया साबरी, सायरा बानो, आफरीन रहमान, इशरत जहां एवं गुलशन परवीन पर पूरे देश को नाज है. आपने हिंदुस्तानी महिलाओं का न सिर्फ मान बढ़ाया बल्कि पुरुष प्रधान समाज में, उनकी बराबरी का होने अहसास दिलाया. यह सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की जीत नहीं है, बल्कि यह हिंदुस्तानी महिलाओं का सशक्तिकरण है. महिलाओं को पैर की […]
आतिया साबरी, सायरा बानो, आफरीन रहमान, इशरत जहां एवं गुलशन परवीन पर पूरे देश को नाज है. आपने हिंदुस्तानी महिलाओं का न सिर्फ मान बढ़ाया बल्कि पुरुष प्रधान समाज में, उनकी बराबरी का होने अहसास दिलाया.
यह सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की जीत नहीं है, बल्कि यह हिंदुस्तानी महिलाओं का सशक्तिकरण है. महिलाओं को पैर की जूती समझने वालों के मुंह पर तमाचा है. शनि शिंगणापुर एवं हाजी अली दरगाह में महिलाओं का प्रवेश भी इसी दिशा में एक कदम था.
समाज एवं सरकार से इतना गुजारिश है कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किया जाये. किस तरह से पीड़ित महिलाओं को इंसाफ मिले, इस पर मंथन किया जाना चाहिए. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे अपनी हार न समझे बल्कि समाज सुधार का एक हिस्सा माने.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी