हमारे देश का मीडिया का एक तबका यह मानता है कि मोदी ने गो-हत्या मामला उठा कर एक बार फिर से धर्म कि राजनीति शुरू कर दी है. पता नहीं कि ये लोग बिक चुके हैं या खुद को बुद्धिजीवी साबित करना चाहते हैं, लेकिन पता नहीं हमारे देश के इन तथाकथित बुद्धिजीवियों को यह कब समझ में आयेगा कि गो-हत्या किसी धर्म का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का मुद्दा है.
ये लोग जानते हैं कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर है, लेकिन फिर भी वे अपनी सोच को आम जनता की सोच से अलग रखते हैं. इनमें विवेक नहीं है और जिसमें विवेक नहीं होगा वो चाहे कितना ही शिक्षित क्यों न हो, वह देश के लिए घातक ही होगा और आज देश में यही हो रहा है. बड़ा दु:ख हुआ यह खबर सुनकर कि गो-हत्या को ये केवल धर्म कि दृष्टि से ही देख रहे हैं. इन्हें यह नहीं पता कि अगर गाय बचेगी, तो हम बचेंगे.
सुभाष वर्मा, गिरिडीह