चुनाव में सुरक्षा के हो पुख्ता इंतजाम

झारखंड-बिहार में लोकसभा चुनाव का पहला चरण 10 अप्रैल को है. ठीक इसके पूर्व औरंगाबाद में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट करके अपने मंसूबे जाहिर कर दिये हैं. नक्सलियों ने झारखंड के कई जिलों में पहले से ही पोस्टरबाजी करके लोगों से चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी न करने और वोट न देने की अपील […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2014 4:37 AM

झारखंड-बिहार में लोकसभा चुनाव का पहला चरण 10 अप्रैल को है. ठीक इसके पूर्व औरंगाबाद में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट करके अपने मंसूबे जाहिर कर दिये हैं. नक्सलियों ने झारखंड के कई जिलों में पहले से ही पोस्टरबाजी करके लोगों से चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी न करने और वोट न देने की अपील कर रखी है. इस तरह की पोस्टरबाजी का सिलसिला जारी है.

एक दिन पूर्व ही असम और त्रिपुरा में हुए भारी मतदान में लोगों का जो उत्साह दिखा वह लोकतंत्र विरोधी ताकतों को संदेश देने के लिए काफी है. बावजूद इसके बिहार के औरंगाबाद में हुई नक्सली वारदात के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए. चुनाव डय़ूटी में लगे बलों की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ वर्षो में झारखंड-बिहार में होने वाले चुनाव में हिंसा की वारदातों में काफी कमी आयी है. यही वजह है कि लोगों का मतदान के प्रति रुझान काफी बढा है.

बावजूद इसके लोगों में सुरक्षा की भावना सर्वोपरि है. सरकार और प्रशासन का यह महत्ती दायित्व बनता है कि वह लोगों के जानमाल की हर संभव गारंटी ले. लोगों को यह भरोसा होना जरूरी है कि वह घर के अंदर और बाहर सभी जगह सुरक्षित हैं. सुरक्षा की भावना से विश्वास दोगुना हो जाता है. यही विश्वास जब आत्मविश्वास में तब्दील हो जायेगा तो लोकतंत्र की आस्था को कोई भी डिगा नहीं पायेगा. आतंकी संगठनों और नक्सलियों का खौफ पहले के मुकाबले लोगों में काफी कम अवश्य हुआ है पर खत्म नहीं हुआ.

नक्सली इसी बात का फायदा उठाना चाहते हैं वे लोगों में भय पैदा कर उन्हें लोकतंत्र से डिगाना चाहते हैं. उनके कर्त्तव्य से विमुख करना चाहते हैं. जबकि जनता लोकतंत्र के इस महापर्व को मतदान रूपी संकल्प से सफल बनाना चाहती है. अब सारी उम्मीदें सरकार और प्रशासन पर टिकी है कि वे सुरक्षा व्यवस्था को इतना मजबूत करें कि कहीं भी आतंकी/नक्सली वारदात न होने पाये. लोगों को यह भरोसा दिलायें कि वे बेफिक्र होकर घर से बाहर निकलें. सुरक्षा बलों को भी तमाम बुनियादी संसाधन महैया कराये जायें ताकि उनका मनोबल भी डिगने नहीं पाये. याद रहे कि लोकतंत्र लोगों के भरोसे पर ही टिका है, इसे बचाये रखना महती जिम्मेदारी है.

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