22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजनीतिक बयान बेमाने

अजय साहनी रक्षा विशेषज्ञ चीन के शियामेन शहर में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में जारी एक घोषणापत्र में पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों का नाम आया है. नाम आते ही खबरें चलने लगी हैं कि अब इससे आतंकवाद पर कुछ लगाम लगेगा. माना जाने लगा है कि इससे पाकिस्तान […]

अजय साहनी
रक्षा विशेषज्ञ
चीन के शियामेन शहर में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में जारी एक घोषणापत्र में पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों का नाम आया है. नाम आते ही खबरें चलने लगी हैं कि अब इससे आतंकवाद पर कुछ लगाम लगेगा. माना जाने लगा है कि इससे पाकिस्तान को धक्का लगा है.
जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. किसी भी सम्मेलन में किसी के नाम आ जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. क्या इससे पहले किसी ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का नाम नहीं लिया था? अमेरिका ने कितने लोगों को ही आतंकवादी घोषित कर रखा है और उन पर ईनामों की घोषणाएं तक हुई हैं, लेकिन उनका क्या हुआ? वे आतंकी आज भी खुलेआम अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में ब्रिक्स की घोषणापत्र में आतंकी समूहों के नाम आ जाने से क्या बन-बिगड़ जायेगा, यह समझ से परे है.
अफगानिस्तान में अमेरिका की फौज है, लेकिन मारा कौन जा रहा है? वहां अमेरिकी फौज ने पाकिस्तानी आतंकियों का क्या बना-बिगाड़ लिया है अब तक? यह सब घोषणापत्र वगैरह डिप्लोमेटिक चीजें हैं, इनका जमीन से कोई खास वास्ता नहीं होता है. जब तक आतंकवाद को लेकर सारे देशों की जमीनों पर उनकी अपनी सैन्य रणनीतिक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कुछ नहीं होनेवाला और नाम लेनेभर से तो कुछ भी नहीं होनेवाला. इस ऐतबार से, ब्रिक्स सम्मेलन में हुई बातों से पाकिस्तान पर भी कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है.
चीन ब्रिक्स का हिस्सा है और उसकी सहमति के बिना पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों का नाम नहीं आया होगा. तो क्या हम यह साेचें कि चीन अपना तिब्बत या पाकिस्तान प्रोजेक्ट बंद कर देगा? ब्रिक्स की यही अहमियत है न कि चीन भी ब्रिक्स का सदस्य देश है. इससे ज्यादा मुझे कोई अहमियत नजर नहीं आती. ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका कुछ नहीं कर सकते. रूस जो कर रहा है, उसे हम सब देख ही रहे हैं. और भारत ने भी इन सब मसलों पर क्या किया है अब तक?
अब अगर चीन ने घोषणापत्र में आतंकी समूहों का नाम जाने दिया, तो यह भारत को सोचना चाहिए कि इससे चीन अपना रवैया किस हद तक बदलेगा. क्या वह मसूद अजहर पर अपनी राय बदलेगा? पाकिस्तान पर चीन क्या कोई सैन्य दबाव डालेगा कि वह आतंकियों को पनाह न दे? अगर चीन ऐसा नहीं भी करता है, तो क्या पाकिस्तान ही अपना रवैया बदलेगा?
बड़ा ही जोर-शोर से कहा जा रहा है कि इसमें भारत की कूटनीतिक जीत हुई है. मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि मीडिया इस बात को क्यों नहीं समझ पा रहा है कि कूटनीतिक जीत किसे कहते हैं.
कूटनीतिक जीत वह जीत होती है, जिसमें एक देश दूसरे देश को एक दिशा में चलने के लिए मजबूर कर सके. अगर घोषणापत्र में आये बयान मात्र से भारत की कूटनीतिक जीत हुई है, तो इसका अर्थ तो यह होना चाहिए कि अब पाकिस्तान डरकर आतंकी समूहों पर कार्रवाई करेगा. किसी देश ने दूसरे देश के खिलाफ कोई बयान जारी कर दिया, तो क्या यह कूटनीतिक जीत मानी जायेगी? दरअलस, कूटनीति जीत वह होती है, कि एक देश ने एक दिशा में जाकर दूसरे देश को एकदम मजबूर कर दिया.
कूटनीति के इस आलोक में यह पूछा जा सकता है कि इसके पहले जो कूटनीतिक जीतें हुई थीं, तब क्या पाकिस्तान ने हथियार डाल दिये थे? लश्करे तैयबा ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी क्या? सीमा पर गोलीबारी बंद हो गयी क्या?
ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ अब तक. इन सब चीजों में जब तक कोई ठोस फर्क नहीं पड़ता, जिसको आप देख सकते हैं, तब तक कूटनीतिक जीत नहीं मानी जा सकती. बाकी तो आप दुनिया के किसी भी कॉन्फ्रेंस में लिखा-लिखाया बयान पढ़कर लोगों को यह बता सकते हैं कि यह आपकी कूटनीतिक जीत है, तो आप बताते रहिये, हकीकत इससे कोसों दूर ही रहेगी. सम्मेलनों का घोषणापत्र हो या देशों का कोई साझा बयान, वह एक राजनीतिक बयान मात्र ही होता है. इसलिए इनका कोई मतलब नहीं होता है. इसके पहले भी तो न जाने कितने ही शिखर सम्मेलन हुए हैं दुनियाभर में. कोई यह बताये कि उनके घोषणापत्रों की क्या हालत है.
डिमोनेटाइजेशन में सरकार कुछ और कहती है और आरबीआइ कुछ और. इस नजरिये से देखें, तो जब सब कुछ सामने होते हुए भी हमारे नेता झूठ बोलते हैं और उल्टे-सीधे बयान देते हैं, फिर तो किसी सम्मेलन के साझा बयानों का क्या मतलब कि वे खरे उतरेंगे ही.
चीन अगर किसी दबाव में आकर आतंकी समूहों का नाम जाने दिया है, तो यह कोई कैसे पता कर सकता है कि क्या सचमुच चीन किसी के दबाव में था? अगर था, तो किसके? कुल मिलाकर, ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में आतंकी समूहों के नाम आ जाने से आतंकवाद पर कुछ भी फर्क नहीं पड़नेवाला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें