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शिक्षकों ने न्याय नहीं किया
एक भ्रष्ट बुद्धि बस कंडक्टर की वजह से एक सात साल का मासूम आज इस दुनिया में नहीं है. आश्चर्य होता है उन बड़े स्कूलों के ‘बात दबाने’ की प्रवृत्ति पर और वहां के पत्थर-दिल शिक्षकों पर कि बच्चे की हत्या जैसे संगीन मामले को पचा गये और चुप्पी साधे रहे. अगर पुलिस और अन्य […]
एक भ्रष्ट बुद्धि बस कंडक्टर की वजह से एक सात साल का मासूम आज इस दुनिया में नहीं है. आश्चर्य होता है उन बड़े स्कूलों के ‘बात दबाने’ की प्रवृत्ति पर और वहां के पत्थर-दिल शिक्षकों पर कि बच्चे की हत्या जैसे संगीन मामले को पचा गये और चुप्पी साधे रहे. अगर पुलिस और अन्य अभिभावकों का मामले में हस्तक्षेप नहीं होता, तो शायद आज अपराधी किसी और बच्चे पर अपनी भ्रष्ट बुद्धि का जोर आजमा रहा होता.
जो शिक्षक सिर्फ स्कूल की साख बनाये रखने के लिए इस मामले को दबाने-छुपाने की कोशिश कर रहे हैं, वह शिक्षक नहीं हैं. दूसरी कक्षा के बच्चों से मृत बच्चे के बैग और बोतल का खून साफ करवाना दर्शाता है कि उनका हृदय नहीं पसीजा. इस बात दबाने की कोशिश में उन्होंने न्याय नहीं किया.
विनीता तिवारी मिश्रा, रामगढ़ कैंट
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