नेताओं का चरित्र परीक्षण जरूर करें
जदयू नेता साबिर अली के भाजपा के साथ जुड़ने और फिर विरोध होने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का पूरा प्रकरण मजाक सा प्रतीत होता है. लेकिन मुङो लगता है कि साबिर अपने स्थान पर ठीक हैं. क्योंकि बिना सबूत के ऐसे आरोप लगाना किसी के राजनीतिक करियर को बर्बाद कर सकता है. […]
जदयू नेता साबिर अली के भाजपा के साथ जुड़ने और फिर विरोध होने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का पूरा प्रकरण मजाक सा प्रतीत होता है. लेकिन मुङो लगता है कि साबिर अपने स्थान पर ठीक हैं.
क्योंकि बिना सबूत के ऐसे आरोप लगाना किसी के राजनीतिक करियर को बर्बाद कर सकता है. दूसरी तरफ यह घटना भाजपा की कमजोरी को प्रकट कर रही है. भाजपा की यह नैतिक जिम्मेदारी थी कि सदस्यता देने से पहले ही उनका चरित्र परीक्षण करती. किसी के साथ ऐसा होगा तो नाराजगी लाजिमी है.
यह तो समय बतायेगा कि उनका संबंध भटकल से था या नहीं, लेकिन किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना मानवता के साथ अन्याय है. आज शायद ही कोई दल सदस्यता देने से पहले नेताओं का चरित्र परीक्षण करता हो और यही भूल पार्टी को गर्त में धकेल देती है.
सुधीर कुमार, गोड्डा