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बच्चों की सुरक्षा का सवाल
प्रद्युम्न की मौत को एक घटना मान कर इसका सामान्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए, हकीकत यही है कि गुरुग्राम हो या गोरखपुर, स्कूल हो या अस्पताल, हमारे बच्चे कहीं सुरक्षित नहीं हैं. देश में हर सेकेंड बच्चों के खिलाफ कोई न कोई अपराध होता है. अभी पिछले साल ही दिल्ली के वसंत कुंज स्थित रेयान […]
प्रद्युम्न की मौत को एक घटना मान कर इसका सामान्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए, हकीकत यही है कि गुरुग्राम हो या गोरखपुर, स्कूल हो या अस्पताल, हमारे बच्चे कहीं सुरक्षित नहीं हैं. देश में हर सेकेंड बच्चों के खिलाफ कोई न कोई अपराध होता है. अभी पिछले साल ही दिल्ली के वसंत कुंज स्थित रेयान स्कूल में एक छोटे बच्चे की डूबने से मौत हुई थी.
लाखों की सालाना फीस वसूलने वाले और एहसान कराने की तर्ज पर बच्चों को पढ़ाने वाले ये स्कूल बच्चों की सुरक्षा में इतनी लापरवाही कैसे बरत सकते हैं? पढ़ाई के नाम पर महंगी जमीनें इन्हें कौड़ियों के भाव मिल जाती है, जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े कुछ बच्चों को पढ़ाकर ये अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं. स्कूल के संचालकों, प्रबंधकों पर क्या किसी किस्म की कार्रवाई कभी हो पायेगी?
अनिल सक्सेना, गया, इमेल से
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