हिंदुओं को शरण देता एक घोषणापत्र
तरुण विजय राज्यसभा सांसद भाजपा के घोषणापत्र में कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो वास्तविक अर्थो में पार्टी को एक विशिष्ट पहचान देते हैं. विडंबना यह है कि ‘छद्म सेक्यूलरवाद’ के राष्ट्रघातक रवैये के कारण बाकी दल इन मुद्दों खामोश रहते हैं या हिंदू विरोध को ही अपनी राजनीति का मुद्दा बना लेते हैं. भारतीय जनता […]
तरुण विजय
राज्यसभा सांसद
भाजपा के घोषणापत्र में कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो वास्तविक अर्थो में पार्टी को एक विशिष्ट पहचान देते हैं. विडंबना यह है कि ‘छद्म सेक्यूलरवाद’ के राष्ट्रघातक रवैये के कारण बाकी दल इन मुद्दों खामोश रहते हैं या हिंदू विरोध को ही अपनी राजनीति का मुद्दा बना लेते हैं.
भारतीय जनता पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में विकास और भारत के आर्थिक तंत्र को मजबूत करने के लिए जो घोषणाएं की गयी हैं, वे किसी एक राजनीतिक पार्टी द्वारा चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए सामान्य रूप से की जानेवाली परंपरागत घोषणाओं के बजाय, केंद्र में बननेवाली पार्टी की नयी सरकार का एजेंडा अधिक लगती हैं.
इसमें सबसे पहली प्राथमिकता पर देश के आर्थिक पुनर्निर्माण और अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को रखा गया है. इनसे करोड़ों की संख्या में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे, निर्माण क्षेत्र मजबूत होगा, बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में नये ढांचे बनेंगे, देशी-विदेशी पूंजी-निवेश के लिए नये रास्ते खुलेंगे और सबसे बढ़ कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. इसलिए इस घोषणापत्र के अध्ययन के बाद देश-विदेश के पूंजी निवेशक अब भारत की ओर बढ़ने के लिए अधिक आशा भरी निगाहों से देखने लगे हैं.
इन महत्वपूर्ण आर्थिक बिंदुओं के साथ-साथ नरेंद्र मोदी सरकार का ध्यान दुनिया भर के सताये हुए, पीड़ित और अत्याचार के शिकार हिंदुओं के प्रति भी होगा. वेबसाइट पर पार्टी के घोषणापत्र को पढ़ने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं में एक बहुत बड़ी राहत की लहर दौड़ गयी है. भारत के इतिहास में पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह लिखने का साहस दिखाया है कि भारत दुनिया भर के सताये हुए हिंदुओं का शरणस्थल रहेगा और दुनिया में कहीं भी किसी भी हिंदू पर कोई अत्याचार होगा, तो वह भारत की ओर ही इसे अपना मूल निवास समझते हुए देखेगा.
यह बहुत बड़ी बात है, जो काफी पहले हो जानी चाहिए थी. आखिरकार हिंदू दुनिया के किसी भी देश में रह, उसका मूल निवास अगर हिंदुस्तान नहीं होगा, तो क्या सऊदी अरब होगा? अब तक हिंदुओं को तिरस्कार भाव तथा उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाना ‘राजनीतिक सेक्यूलरवाद’ की परंपरा रही है. भारतीय जनता पार्टी ही एक ऐसी पार्टी है, जिसने इस मिथ्या यानी सेक्यूलरवाद के बुलबुले को तोड़ा है.
अयोध्या में राममंदिर निर्माण और पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना- ये दो अन्य ऐसे मुद्दे हैं, जो न केवल भारत की आत्मा को, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की मूल विचारधारा को भी अभिव्यक्त करते हैं. राममंदिर का निर्माण भारतीय जनता पार्टी के लिए मूल आस्था का विषय रहा है. भाजपा के नेता हमेशा यह कहते भी रहे हैं कि अयोध्या में मंदिर तो बना ही हुआ है, इसे दुनिया की कोई ताकत न हटा सकती है, न छेड़ सकती है. असली कार्य तो अब उस जीर्णशीर्ण और अस्थायी मंदिर के स्थान पर विराट एवं भव्य राममंदिर का निर्माण है. लेकिन यह कार्य सबको साथ लेकर, सांप्रदायिक सौहार्द को बनाये रखते हुए कानून और संविधान की अनुमति से ही किया जा सकता है. यह काम भारत की चैतन्य, साधारण देशभक्त नागरिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए सामूहिक सहमति द्वारा किया जाना ही श्रेयस्कर होगा. सैकड़ों वर्षो की गुलामी के आघात सहते हुए हिंदू समाज अब अपने महान प्रतीकों का अपमान सहन नहीं कर सकता.
कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी- यह एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में अंकित हुआ है. दुनिया के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ होगा कि लाखों देशभक्त नागरिकों को अपने ही देश में केवल इस कारण से उजड़ कर शरणार्थी बनना पड़ हो, क्योंकि वे अपने वतन से प्यार करते थे और एक खास धर्म को माननेवाले थे. इससे पहले जब कभी कश्मीर में हिंदुओं पर अत्याचार हुआ, तो सारे देश न उसकी सहायता की थी. गुरु तेगबहादुर साहब की शहादत कश्मीरी हिंदुओं को संरक्षण देने के परिणामस्वरूप ही हुई थी.
इसीलिए गुरु तेग बहादुर को ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है. कश्मीरी हिंदुओं की अपने घरों की ओर सुरक्षा और सम्मान के साथ वापसी राममंदिर निर्माण की तरह ही भारतीय जनता पार्टी की मूल आस्था का विषय रहा है. इसलिए इस मुद्दे का घोषणापत्र में लिखा जाना नयी सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है. धारा-370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को भारत के शेष प्रदेशों की तरह ही स्थान देना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि देने के समान है. ये मुद्दे भारत की एकता के लिए जितने जरूरी हैं, उतने ही भारतीय जनता पार्टी की विशिष्ट पहचान बनाये रखने के लिए भी अनिवार्य है.
समान नागरिक संहिता जनसंघ के समय से भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की प्रतिबद्धता का विषय है. पूरे देश में समान नागरिक संहिता नहीं होने के कारण न केवल सांप्रदायिक जहर फैलता है, समाज में विसंगति और विभेद बढ़ते हैं, बल्कि इसकी अनुपस्थिति में महिलाओं को समान अधिकार भी नहीं प्राप्त होते. मुसलिम पर्सनल लॉ तथा शरीयत महिलाओं को एक दूसरी दृष्टि से देखते हैं.
इसलिए मुसलमान भले ही सार्वजनिक तौर पर शरीयत को अपनाने की बात करते होंगे, लेकिन जब व्यक्तिगत जमीन-जायदाद के झगड़े होते हैं, तब वे साधारण नागरिक कानून का ही सहारा लेना पसंद करते हैं. इसलिए भारतीय राष्ट्रीय सामाजिक एकता और समरसता के लिए समान नागरिक संहिता का निर्माण बहुत आवश्यक है. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भी नारा था कि एक देश में एक ही प्रकार का कानून होना चाहिए. दुनिया के हर बड़े देश में प्रत्येक राष्ट्रीय नागरिक के लिए एक ही कानून होता है, तो फिर भारत में अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग कानून क्यों होने चाहिए?
ये कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जो वास्तविक अर्थो में भारतीय जनता पार्टी को एक विशिष्ट पहचान देते हैं. विडंबना यह है कि ‘छद्म सेक्यूलरवाद’ के सड़-गल चुके एवं राष्ट्रघातक रवैये के कारण बाकी राजनीतिक दल राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी इन मुद्दों पर या तो खामोश रहते हैं या फिर हिंदू विरोध को ही अपनी राजनीति का मुद्दा बना लेते हैं. इन मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में स्पष्टता के बाद ऐसा लगता है कि अब राजनीतिक राडार पर नयी भाषा तथा आग्रही राष्ट्रीयता का बोलबाला आरंभ होगा.