गोरखपुर में पांचवीं कक्षा के छात्र द्वारा आत्महत्या करने की घटना दिल दहलाने वाली है. यह घटना कई सवाल भी खड़े करती है. सिर्फ शिक्षक को ही इसके लिए दोषी ठहराना और उसे दंडित करना पूरी तरह न्यायसंगत नहीं होगा. इस आधुनिक युग में पैसे कमाने और जमा करने की होड़ में हम मशीन बन गये हैं. हम यह भुला बैठे हैं कि आखिर हम किसके लिए कमा रहे हैं? पैसे कमाने के चक्कर में परिवार के लिए समय ही नहीं है.
हम अपने बच्चों को बिल्कुल भी समय नहीं देकर उनको उनके हाल पर छोड़ देते हैं. उन पर अपनी अपेक्षाएं लादकर और उन्हें पैसे देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं. जिसके लिए कमा रहे हैं, उसी को नजरअंदाज करके हम क्या अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं?
सीमा साही, बोकारो