बड़े नोटों को बंद करने की घोषणा हुए लगभग एक साल होने जा रहा है. इस निर्णय के पीछे सरकार की सोच थी कि इस कदम से देश में काला धन कम होगा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के जो आंकड़े आये हैं, वे बताते हैं कि सरकार अपने उद्देश्य में बहुत सफल नहीं रही है.
लगभग 99% पुराने नोट बैंकों में जमा हो गये हैं और बड़े लोगों ने अपने काले धन को बड़ी चतुराई से सफेद कर लिया है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जीडीपी की विकास दर विगत तीन सालों में न्यूनतम 5.7 % हो गयी है. नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के कल-कारखाने बड़े पैमाने पर बंद हो गये हैं. बड़े स्तर पर बेरोजगारी बढ़ी है. आर्थिक विकास को धक्का लगा है. सरकार के ईमानदार प्रयास से आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
युगल किशोर, रांची