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धौनी जैसा कोई नहीं
आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक प्रभात खबर हाल में एक अच्छी खबर आयी कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने महेंद्र सिंह धौनी का नाम पद्म भूषण पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया है. धौनी के लिए पुरस्कार कोई नयी बात नहीं है. इससे पहले उन्हें खेल रत्न, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका […]
आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक
प्रभात खबर
हाल में एक अच्छी खबर आयी कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने महेंद्र सिंह धौनी का नाम पद्म भूषण पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया है. धौनी के लिए पुरस्कार कोई नयी बात नहीं है. इससे पहले उन्हें खेल रत्न, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रसन्नता इसलिए हुई कि धौनी के खिलाफ कुछ समय पहले, खासकर सोशल मीडिया में एक सुनियोजित अभियान चला था. इसमें यह बताने की कोशिश की गयी कि अब वह चुक गये हैं.
धौनी पुराने वाले धौनी नहीं रहे और वह टीम पर बोझ बन गये हैं. उनके मुकाबले अन्य खिलाड़ियों को खड़ा करने का प्रयास भी हुआ था. साथ ही यह साबित करने की कोशिश भी की गयी थी कि उन्हें अब विदा करने का वक्त आ गया है वगैरह-वगैरह. धौनी के खिलाफ इस तरह के अभियान समय-समय पर चलते रहे हैं. लेकिन, हर बार धौनी ने अपनी बल्लेबाजी और विकेट कीपिंग दोनों से अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है. उन्होंने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट जगत में उनका कोई विकल्प नहीं है.
हाल में धौनी ने श्रीलंका और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार पारियां खेल कर भारतीय टीम को न केवल संकट से बाहर निकाला है, बल्कि जीत भी दिलवायी है. साथ ही उन्होंने शानदार विकेटकीपिंग का प्रदर्शन किया.
चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गये वनडे में धौनी ने महत्वपूर्ण 79 रनों की पारी खेली, स्टंपिंग की और दो कैच पकड़े, जिसकी वजह से भारत यह मैच जीत पाया. श्रीलंका के साथ दूसरे वनडे में उन्होंने भुवनेश्वर कुमार के साथ नाबाद 100 रनों की आठवें विकेट की शानदार साझेदारी की, जिसकी वजह से भारतीय टीम जीत सकी. अगले ही मैच में धौनी ने 67 रनों की नाबाद पारी खेली और रोहित शर्मा के साथ 157 रनों की साझेदारी खेली, जिसकी वजह से भारत 218 रनों का लक्ष्य हासिल कर पाया. आपको शायद याद हो कि इस मैच में एक वक्त भारत की हालत कितनी पतली थी और उसके 61 रन पर चार विकेट गिर गये थे. सभी को लग रहा था कि मैच भारत के हाथ से गया, लेकिन धौनी ने रोहित शर्मा के सहयोग से मैच को फिर भारत के पाले में ला खड़ा किया.
अगर आपने श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैचों को देखा हो तो आप गौर करेंगे कि मैदान में विराट कोहली आधे कप्तान हैं और आधी कप्तानी धौनी कर रहे होते हैं. वह विकेट के पीछे से गेंदबाज़ों को कैसी और कहां गेंद करें, इसकी लगातार हिदायत देते रहते हैं. स्पिनर के वक्त तो उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है. इसी का नतीजा है कि हम-आप अपने गेंदबाजों से कुछ शानदार विकेट देख पा रहे हैं, साथ ही धौनी की स्टंपिंग का लुत्फ उठा पा रहे हैं. वह युवा स्पिनरों चहल और कुलदीप यादव को लगातार सलाह देते नजर आये. स्टंप में लगे माइक से उनकी बातें साफ सुनाई दे रही थीं
यही वजह है कि दोनों स्पिनर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इतने प्रभावशाली साबित हुए. वह कुलदीप यादव को यह कहते सुनाई दिये- वो मारने वाला गेंद डाल, अंदर या बाहर कोई भी चलेगा. युजवेंद्र चहल को उनकी सलाह थी- घुमाने वाला डाल, घुमाने वाला. जब ग्लेन मैक्सवेल क्रीज पर थे और कुलदीप यादव की लाइन और लेंथ सही नहीं पड़ रही थी और उनकी धुनाई कर रहे थे तो धौनी कुलदीप को सलाह दे रहे थे- न, न इसको इतना आगे नहीं. लाइन लेंथ सही न पड़ने पर धौनी चहल को झिड़कते भी सुनाई दिये- तू भी नहीं सुनता क्या, जैसा कहा, वैसा डाल. इसके बाद दोनों स्पिनर विकेट लेने में कामयाब रहे. ऐसा नहीं है कि धौनी पहली बार स्पिनरों की मदद कर रहे हों. इसके पहले रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन उनकी भी धौनी भरपूर मदद करते नजर आते थे. हालांकि विकेटों का सारा श्रेय गेंदबाजों को मिलता है, लेकिन हम धौनी के योगदान की अक्सर अनदेखी कर जाते हैं. यह अनुभव और विशेषता किसी अन्य विकेटकीपर में कहां मिलेगी.
जब भी कोई रिव्यू लेने की बात आती है, कप्तान विराट कोहली उनके पास जाते हैं और धौनी का निर्णय अंतिम होता है. यह सही है कि वह विकेट के पीछे रहते हैं और बेहतर स्थिति में होते हैं. दुनिया के सभी विकेटकीपर इसी स्थिति में होते हैं, लेकिन धौनी रिव्यू का सटीक आकलन करते हैं.
यही वजह है कि भारतीय टीम के अधिकतर रिव्यू सफल होते हैं. अगर आप क्रिकेट पर नजर रखते हों तो पायेंगे कि धौनी के नाम एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड दर्ज हैं. वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में किसी टीम ने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 का आईसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20, 2011 का वनडे वर्ल्ड कप और 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है. उन्होंने हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ 300 वनडे खेलने का रिकॉर्ड बनाया. धौनी का वनडे में औसत 52.34 है.
उनके नाम 10 वनडे सेंचुरी हैं और सौ से हाफ सेंचुरी हैं. (ये आंकड़े ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रविवार को खेले गये इंदौर वनडे से पहले के हैं.) वनडे मैचों में 100 स्टंपिंग करने वाले वह दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर हैं. धौनी अब तक 303 मैचों में कुल 102 स्टंपिंग कर चुके हैं.
उनकी तेजी और फुर्ती में कोई कमी नहीं है. पलक झपकते ही वह बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते हैं. यह बात देश और विदेश के सभी के खिलाड़ियों को पता है कि अगर धौनी के हाथ में गेंद आ गयी और प्लेयर क्रीज से जरा सा भी बाहर है तो बल्लेबाज किसी भी सूरत में बच नहीं सकता है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में उनकी फुर्ती को हम देख चुके हैं. उन्होंने मैक्सवेल की इतनी तेजी से स्टंपिंग की कि उन्हें वापसी का कोई मौका नहीं मिला. सोशल मीडिया धौनी की ऐसी स्टपिंग से भरा पड़ा है.
इस समय भारतीय क्रिकेट तो क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में भी धौनी के समकक्ष कोई नहीं है. धौनी को दुनिया का बेस्ट फिनिशिर, मिस्टर कूल और मिस्टर डिपेंडेंट यूं ही नहीं कहा जाता है. उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि उनको जो नाम दिये गये हैं, वे एकदम उपयुक्त हैं. 2019 में होनेवाले क्रिकेट विश्व कप के लिए धौनी एकदम फिट हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि वह इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे.
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