हर घर को बिजली
देश के प्रत्येक घर-परिवार तक बिजली पहुंचाने की नयी ‘सौभाग्य’ योजना अत्यंत सराहनीय पहल है. इसके तहत दिसंबर, 2018 तक 16,320 करोड़ के खर्चे से ऐसे 4 करोड़ परिवारों को बिजली दी जायेगी जो आजादी के 70 साल बाद भी इससे वंचित हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने शुभारंभ के अवसर पर ठीक याद दिलाया कि 17 […]
देश के प्रत्येक घर-परिवार तक बिजली पहुंचाने की नयी ‘सौभाग्य’ योजना अत्यंत सराहनीय पहल है. इसके तहत दिसंबर, 2018 तक 16,320 करोड़ के खर्चे से ऐसे 4 करोड़ परिवारों को बिजली दी जायेगी जो आजादी के 70 साल बाद भी इससे वंचित हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने शुभारंभ के अवसर पर ठीक याद दिलाया कि 17 करोड़ परिवारों में अब भी चार करोड़ परिवार बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं.
यह तथ्य दशकों के विकास-कार्यों के भीतर छिपी विषमता और गरीबों की अनदेखी को उजागर करता है. लेकिन, महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना को कुछ कठोर जमीनी सच्चाइयों का सामना करना पड़ेगा और इस क्रम में विद्युतीकरण के मोर्चे पर वर्तमान सरकार द्वारा अब तक उठाये गये कदमों की भी समीक्षा होगी.
लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान में जिन दिनों मोदी हर घर तक बिजली की सुविधा पहुंचाने के वादे कर रहे थे, उन्हीं दिनों विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बिजली की सुविधा से वंचित सबसे ज्यादा आबादी (करीब 24 करोड़) भारत में रहती है. चुनाव के कुछ समय बाद एक ऑडिट में पता चला कि देश के कुल एक फीसदी से भी कम गांवों (18,452) का ही विद्युतीकरण बाकी है, शेष गांवो में यह काम पूरा हो चुका है. पर, समस्या विद्युतीकरण की समझ को लेकर भी है.
मिसाल के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश का उदाहरण लिया जा सकता है, जहां जनसंख्या अमेरिका की आबादी के लगभग बराबर है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में 50 फीसदी से भी कम ग्रामीण परिवारों को बिजली हासिल है, जबकि जनवरी, 2017 में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की वेबसाइट के आंकड़े बता रहे थे कि उत्तर प्रदेश में मात्र 13 और बिहार में केवल 598 गांवों का विद्युतीकरण बाकी है.
स्वयंसेवी संगठन अक्सर इस बुनियादी तथ्य पर ध्यान दिलाते हैं कि विद्युतीकरण का मामला अबाधित बिजली आपूर्ति से जुड़ा है. बाधा चाहे कीमत की हो, तकनीकी पहलुओं की या फिर बिजली आपूर्ति में रुकावट की, अगर किसी गांव के 90 फीसदी घरों में किसी भी कारण से बिजली नहीं पहुंचती है, तो कैसे माना जा सकता है कि किसी गांव के विद्युतीकरण का उद्देश्य पूरा हुआ?
अच्छी बात है कि सौभाग्य योजना में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करनेवाले परिवारों को निशुल्क बिजली कनेक्शन देने की व्यवस्था है, परंतु यह भी देखना होगा कि बिजली का शुल्क ज्यादातर परिवारों के बजट के अनुकूल हो और बिजली की आपूर्ति दिन में आठ-दस या बारह घंटे नहीं, बल्कि हर समय हो.