रावण! तू जलता क्यों नहीं ?

सवाल हमारी आस्था और विश्वास का है. हर वर्ष की भांति इस साल भी रावण धू-धू कर जल उठेगा. लोगों का मानना है कि रावण हमारी बुराइयों का प्रतीक है, जिसे वर्ष में एक बार जला डालने की हम रस्म अदायगी करते हैं. वर्षों से हम यही तो करते रहें है. मगर रावण! तू जलता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2017 7:08 AM
सवाल हमारी आस्था और विश्वास का है. हर वर्ष की भांति इस साल भी रावण धू-धू कर जल उठेगा. लोगों का मानना है कि रावण हमारी बुराइयों का प्रतीक है, जिसे वर्ष में एक बार जला डालने की हम रस्म अदायगी करते हैं.
वर्षों से हम यही तो करते रहें है. मगर रावण! तू जलता क्यों नहीं? हमारी बुराइयों को जलाने के लिए वर्षों की योजनाएं क्यों? वैसे तो हम भी रावण की तरह ही ढीठ हो चुके हैं. जाने हम वर्षों से किस रावण को जला रहे हैं.
क्या यह हमारा अहंकार है या गंदगी, अत्याचार, लूट-खसोट, जो हमारे बीच रच-बस गया है! क्यों न हम हर वैसी चीज जला डालें, जो इंसानी खुशियां जलाती हो. क्यों न अगली बार सामाजिक कुरीतियां, आडंबर और कूड़े-कचरे जैसे विशालकाय दशानन को भस्म करने की शपथ लें?
एमके मिश्रा, रातू, रांची

Next Article

Exit mobile version