स्वच्छता का दायरा सिर्फ सड़कों पर झाड़ू लगाने तक ही नहीं है. यह जल, थल और वायु की सफाई तक जाता है. प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान में शौचालयों के निर्माण और नदियों की सफाई एक अच्छा कदम है. सफाई के औचक निरीक्षणों से विभागों में भी काफी असर है.
दशहरे और दिवाली जैसे पर्व पर आतिशबाजी से न जाने कितनी वायु, ध्वनि और धरती पर न जाने कितना प्रदूषण और जान-माल की हानि होती है, शायद किसी को अंदाज ही नहीं है. फूटपाथ में लगे टाइल के गैपों में भी घास उगने से झाड़ू भी ठीक से नहीं लगती. इसलिए इनकी जगह तो सीमेंट का फर्श ही बेहतर है क्योंकि उसमें ये कमियां नहीं हैं. अभी केंद्र की डीडीए और दिल्ली सरकार इस कार्य को धड़ल्ले से कर रही हैं जिसे ठीक करने की जरूरत है.
वेद मामूरपुर, नरेला