शहीदों का सम्मान बनाये रखें
1947 को आजादी हजारों क्रांतिकारियों के बलिदान के फलस्वरूप प्राप्त हुई थी. उनके सपने तभी सार्थक होंगे, जब हम आपसी द्वेष को मिटाकर भाईचारे के साथ रहेंगे, न कि उन क्रांतिकारियों के नाम पर या उनकी मूर्ति पर राजनीति करके. जो शहीद हुए हैं, वे सबसे पहले क्रांतिकारी हैं. उन्हें अपनी जाति या अपने समुदाय […]
1947 को आजादी हजारों क्रांतिकारियों के बलिदान के फलस्वरूप प्राप्त हुई थी. उनके सपने तभी सार्थक होंगे, जब हम आपसी द्वेष को मिटाकर भाईचारे के साथ रहेंगे, न कि उन क्रांतिकारियों के नाम पर या उनकी मूर्ति पर राजनीति करके. जो शहीद हुए हैं, वे सबसे पहले क्रांतिकारी हैं.
उन्हें अपनी जाति या अपने समुदाय से जोड़ना, उनकी दृष्टि व आदर्श को ठेस पहुंचाना होगा. शहीद निर्मल महतो की मूर्ति को लेकर जिस प्रकार दो राजनीतिक दल आपस में भिड़ गये, उसे देखकर आश्चर्य होता है कि आज जाति, धर्म व संप्रदाय ने किस प्रकार राजनीति को जकड़ लिया है. अतः सभी लोगों से आग्रह है कि कृपया हमारे जो शहीद, सैनिक या क्रांतिकारी हैं, उन्हें राजनीति से दूर रखें.
कन्हाई लाल, रांची, इमेल से