स्त्रियों के प्रति मानसिकता बदलनी होगी

आज की पीढ़ी में जागरूकता किसी न किसी स्तर पर आयी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि पूरा समाज और शहर बदल गया हैं. स्त्रियों को असुरक्षा का भाव घर से निकलते ही आने लगता हैं. उनके साथ अनहोनी घटना होती हैं, तो लोग भी मदद के लिए आगे आने के संकोच करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2017 6:31 AM
आज की पीढ़ी में जागरूकता किसी न किसी स्तर पर आयी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि पूरा समाज और शहर बदल गया हैं. स्त्रियों को असुरक्षा का भाव घर से निकलते ही आने लगता हैं. उनके साथ अनहोनी घटना होती हैं, तो लोग भी मदद के लिए आगे आने के संकोच करते हैं. शहर को सुरक्षित बनाने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करना होगा और अपना दायित्व निभाना होगा.
यह स्वीकार करना होगा कि स्त्री कोई वस्तु नहीं, वह भी इंसान है. इसकी शुरुआत अपने ही घर से करनी होगी ताकि बड़ा होकर उनका बेटा लड़कियों पर फब्तियां न कस सके. वह हर महिला का सम्मान करें. कानून चाहे कितने भी बन जाएं, जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक माहौल नहीं बदलेगा.
मुकेश कुमावत, जयपुर, इमेल से

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