जनप्रतिनिधि और उनकी जनसेवा
हमारे जनप्रतिनिधि किस तरह की जनसेवा कर रहे हैं यह देखने और समझने की जरूरत है. आज झरिया शहर उजड़ने के कगार पर है, ऐतिहासिक पहचान रखने वाला आरएसपी कॉलेज भी अब चंद दिनों का मेहमान है, धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन वीरान हो गयी है, पारा शिक्षकों के साथ-साथ सीआरपी, बीआरपी एवं ऊर्जा विभाग के कर्मी […]
हमारे जनप्रतिनिधि किस तरह की जनसेवा कर रहे हैं यह देखने और समझने की जरूरत है. आज झरिया शहर उजड़ने के कगार पर है, ऐतिहासिक पहचान रखने वाला आरएसपी कॉलेज भी अब चंद दिनों का मेहमान है, धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन वीरान हो गयी है, पारा शिक्षकों के साथ-साथ सीआरपी, बीआरपी एवं ऊर्जा विभाग के कर्मी अपनी मांगों के लिए आंदोलनरत हैं.
इन मुद्दों को आज तक कोई तवज्जो नहीं दी गयी. वहीं झारखंड सरकार ने 1000 दिन पूरे होने का जश्न मनाया और अपना ही वेतन 60-63 फीसदी तक बढ़ा लिया. लोगों ने उन पर विश्वास किया था. क्या कभी ऐसे जनप्रतिनिधि अपनी जनता की भलाई भी सोच पायेंगे?
शशि भूषण, निरसा, धनबाद