झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर रिम्स, रांची द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने जमशेदपुर की 12 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात पर सहमति दी, यह काबिल-ए-तारीफ है. उच्च न्यायलय की तत्परता और संवेदनशीलता ने इस बच्ची को अनगिनत शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक संकटों से उबार कर न्याय प्रक्रिया की महत्ता को प्रतिस्थापित किया है.
साथ ही असमय उस बच्ची को जबरन मां बनने से निजात दिलाया. यह सब देख-सुन कर निश्चय ही आम व्यक्ति के मन में न्याय प्रक्रिया पर विश्वास दृढ़ हुआ है और न्याय के बारे में यह प्रचलित उक्ति – ‘देर से मिला न्याय अन्याय के बराबर है’ को झुठलाता है. सभी प्रमुख दैनिक अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा, जो धन्यवाद के पात्र हैं.
डॉ उषा किरण, रांची