अच्छे दिन का इंतजार

महान दार्शनिक और फ्रांसीसी क्रांति का जन्मदाता प्रसिद्ध राजनीतिक-विचारक रूसो ने कभी कहा था – ‘हमें फिर से अज्ञान, भोलापन और निर्धनता दे दो, वही हमें सुखी बना सकते हैं’. अब अच्छे दिन के इंतजार में थक चुके देशवासियों को भी यही कहना पड़ रहा है. नोटबंदी के संत्रास से जनता अभी उबर भी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2017 7:32 AM
महान दार्शनिक और फ्रांसीसी क्रांति का जन्मदाता प्रसिद्ध राजनीतिक-विचारक रूसो ने कभी कहा था – ‘हमें फिर से अज्ञान, भोलापन और निर्धनता दे दो, वही हमें सुखी बना सकते हैं’. अब अच्छे दिन के इंतजार में थक चुके देशवासियों को भी यही कहना पड़ रहा है.
नोटबंदी के संत्रास से जनता अभी उबर भी नहीं पायी थी कि जीएसटी ने चारों खाने चित कर दिया. दिन-प्रति दिन बढ़ती मंहगाई मरने पर मजबूर कर रही है. इस पर सरकार का दावा है कि सब कुछ अच्छा चल रहा है, लेकिन पब्लिक इसे कैसे मान ले? सिर्फ कहने से तो अच्छा नहीं हो जाता. झारखंड में लगातार भूख, बीमारी, इलाज में लापरवाही की घटनाओं हो रही हैं. क्या वाकई में अच्छे दिन आ गये हैं?
गुलाम गौस आसवी, धनबाद, इमेल से

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