वंशवाद में बुराई क्या है?
वंशवाद हर क्षेत्र में है. एक डॉक्टर या वकील को अपने बेटे को क्रमश: डॉक्टर या वकील बनाने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि बेटे को बना-बनाया क्षेत्र मिल जाता है और कैरियर कुछ हद तक बन ही जाता है. सफलता-असफलता उसकी अपनी योग्यता पर निर्भर करती है, लेकिन रोजी-रोटी की चिंता […]
वंशवाद हर क्षेत्र में है. एक डॉक्टर या वकील को अपने बेटे को क्रमश: डॉक्टर या वकील बनाने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि बेटे को बना-बनाया क्षेत्र मिल जाता है और कैरियर कुछ हद तक बन ही जाता है. सफलता-असफलता उसकी अपनी योग्यता पर निर्भर करती है, लेकिन रोजी-रोटी की चिंता नहीं होती है. इसलिए ऐसे मामलों में वंशवाद लाभदायक ही होता है, इसलिए वैसे लोगों की नजर में वंशवाद में कोई बुराई नहीं है.
ऐसे लोगों को खुशी ही होती है कि उनकी बोई फसल उनके बच्चे काट रहे हैं और उनके पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं. फिल्मों में भी यही हो रहा है और व्यापार व व्यवसाय में भी यही हो रहा है. जब ऐसे तमाम लोगों का वंशवाद अच्छा लगता है, तो फिर राजनीति के क्षेत्र में परिवार के लोग अपने पिता या पति आदि के राजनीतिक विरासत में साथ हो जाते हैं, तो इसमें बुराई क्या है, क्योंकि आगे चलकर सफलता या असफलता तो उनकी अपनी योग्यता पर ही मिलनी है. हां, ऐसे लोगों को एक बना-बनाया क्षेत्र मिल जाता है, लेकिन अब यह देखना यह होगा कि आज के माहौल में राजनीतिक विरासत कितना सफल होता है.
क्योंकि यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा, लालू यादव की बेटी मीसा भारती, रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान, रमण सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह आदि पहले से राजनीति में हैं जो सफल रहे हैं और अब आने वाले दिनों में इनकी परीक्षा होगी, तो वंशवाद को बुरा कहने का क्या अर्थ है. हम करें तो पुण्य और दूसरे करें तो पाप! सफलता-असफलता अपने हुनर पर निर्भर करती है और अंत में किसी क्षेत्र में जो हिट है, वही फिट है.
डॉ भुवन मोहन, हिनू, रांची