चुनाव व्यवस्था पर भरोसा टूटने न पाये

झारखंड में आम चुनाव के दूसरे चरण में भी जम कर वोट पड़े. करीब 62 फीसदी मतदान हुआ. यह 2009 के आम चुनाव के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है. खूंटी में उग्रवादी हिंसा की तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए 61 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले. रांची में भी 59 फीसदी मतदान का रिकार्ड बना. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2014 3:09 AM

झारखंड में आम चुनाव के दूसरे चरण में भी जम कर वोट पड़े. करीब 62 फीसदी मतदान हुआ. यह 2009 के आम चुनाव के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है. खूंटी में उग्रवादी हिंसा की तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए 61 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले. रांची में भी 59 फीसदी मतदान का रिकार्ड बना. जमशेदपुर में पिछली बार की तुलना में 15 फीसदी अधिक (65) मतदान हुआ.

यही हाल हजारीबाग (61), गिरिडीह (62) और सिंहभूम (63) का भी रहा. सब जगह बूथों पर लंबी कतारों में खड़े मतदाताओं ने साबित कर दिया कि झारखंड भी जाग चुका है. खैर, दूसरे चरण के वोट के साथ झारखंड की 14 में से 10 सीटों पर वोट पड़ चुका है. अब तीसरे चरण में संताल परगना की चार सीटों धनबाद, गोड्डा, राजमहल और दुमका में 24 अप्रैल को मतदान है. राज्य में अब तक किये गये चुनाव इंतजाम काबिले-तारीफ रहे. कहीं कोई बड़ी वारदात नहीं हुई, लेकिन गुरुवार की शाम को रांची में जो हुआ, उसने इस खुशी को काफूर कर दिया. गलती कहां से हुई, कैसे हुई, इसकी तह में जाने की जगह यह कहना ज्यादा उचित होगा कि इस अनहोनी को रोका जा सकता था.

गलतफहमी कैसे हुई, यह जांच का विषय है, पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह प्रशासनिक चूक थी. रांची का खेलगांव घंटों रणभूमि बना रहा. बड़े-बड़े अफसरों के सामने आम से लेकर खास लोग, पत्रकार से लेकर राहगीर तक पिटते रहे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वे तत्काल कोई रास्ता निकालें. उधर, अपराधियों-नक्सलियों को काबू करने में विफल पुलिस ने भी अपनी ‘बहादुरी’ का नमूना दिखाते हुए जिसको देखा, उसी को जम कर धुना. हालांकि इस मामले में दूसरे पक्ष की गलती को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस झड़प में कुछ पुलिसवाले और अधिकारी भी घायल हैं.

अंतत: चुनाव आयोग के हस्तक्षेप से स्थिति सामान्य की जा सकी. जैसे स्वादिष्ट भोजन करते समय दाल में कंकड़ निकल आने से भोजन का मजा किरकिरा हो जाता है, वैसे सब कुछ ठीक से गुजर जाने के बाद रांची में रात की घटना ने मन खराब कर दिया. अब भी सावधान रहने की जरूरत है. अफवाह फैलाने वाले सक्रिय हो सकते हैं.

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