पढ़ाने के लिए शिक्षक तो हों!
शफक महजबीन टिप्पणीकार किसी भी इंसान के जेहनी विकास के लिए तालीम बहुत जरूरी चीज है. तालीम से ही इंसान की शख्सियत निखरती है और वह अपनी जिंदगी के अहम फैसले लेने के काबिल बनता है. इसलिए तालीम जहां से भी मिले, ले लेनी चाहिए. इस हिसाब से उत्तर प्रदेश सरकार की पहल काबिले-तारीफ है. […]
शफक महजबीन
टिप्पणीकार
किसी भी इंसान के जेहनी विकास के लिए तालीम बहुत जरूरी चीज है. तालीम से ही इंसान की शख्सियत निखरती है और वह अपनी जिंदगी के अहम फैसले लेने के काबिल बनता है. इसलिए तालीम जहां से भी मिले, ले लेनी चाहिए. इस हिसाब से उत्तर प्रदेश सरकार की पहल काबिले-तारीफ है. सरकार ने यूपी के मदरसों में अगले सत्र से एनसीइआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला लिया है. इस फैसले के तहत हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर अन्य सभी विषयों की किताबें उर्दू में होंगी और यह मजहबी तालीम में बिना किसी दखल के लागू किया जायेगा.
इसके लिए सरकार मदरसों में शिक्षकों की भी नियुक्ति करेगी. विज्ञान और गणित जैसे विषयों को अनिवार्य भी कर दिया जायेगा. आधुनिक शिक्षा की प्रक्रिया में अगर देशभर के मदरसों में एनसीइआरटी पढ़ायी जाये, तो मदरसों के बच्चे भी दुनियावी ज्ञान से रूबरू होंगे और देश की तरक्की में योगदान करेंगे.
कुछ उलेमाओं ने इस फैसले पर ऐतराज जताया है कि सरकार मदरसों के पाठ्यक्रमों में जबरदस्ती बदलाव करना चाह रही है.दारुल ओलूम अशरफिया के मोहतमिम (प्रिंसिपल) मौलाना सालिक अशरफ ने कहा है कि इस फैसले से वे सहमत नहीं हैं. हालांकि, इस्लाम के पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने सभी को तालीम हासिल करने पर जोर दिया है, सिर्फ दीनी तालीम की बात नहीं की है. ऐसे में उलेमाओं को इस फैसले पर ऐतराज करने का कोई मतलब नहीं है. हां, अगर ऐतराज करना ही है, तो मदरसों की व्यवस्था में कमी पर करना चाहिए.
मदरसों को हाइटेक बनाने का जो काम शुरू हुआ है, वह प्राथमिक शिक्षा के विकास के लिए सराहनीय कदम है. लेकिन, मदरसों से पहले प्राथमिक विद्यालयों को भी हाइटेक बनाने की जरूरत है, और ऐसा देशभर में होना चाहिए. क्योंकि वहां योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव है और विद्यालयों की हालत जर्जर है.
शिक्षा का अधिकार फोरम की एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि देश में करीब 11.46 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में एक ही शिक्षक कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को पढ़ाता है.
सवाल है कि क्या एक शिक्षक अकेले इतने विद्यार्थियों को पढ़ा सकता है? देश में लगभग 13.62 लाख प्राथमिक विद्यालय हैं, लेकिन इनमें 41 लाख शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं. इन आंकड़ों से जाहिर है कि शिक्षकों की यह कमी प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने और आधुनिक बनाने में बहुत बड़ी बाधा है. ऐसे में सवाल उठता है कि मदरसों में एनसीइआरटी की उर्दू में किताबों को पढ़ाने के लिए सरकार के पास क्या प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था है?
जाहिर है, इसके लिए बहुत समय और तैयारी की जरूरत है. इसलिए सरकार को चाहिए कि पहले उन रिक्त पदों को भरे. सिर्फ फैसले लेने से ही प्राथमिक शिक्षा का कायाकल्प नहीं होगा, बल्कि इसके लिए बेहतर क्रियान्वयन की भी जरूरत पड़ती है, जो प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव में संभव नहीं है.