केंद्र ने सरकारी स्कूलों के साथ निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए टीचर्स एलिजबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य किया है. नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स की सिफारिश पर दिया गया यह निर्देश आया है जो बिलकुल सही है.
जिन छात्रों का भविष्य शिक्षकों के हाथों में सौपा जाने वाला है, उनकी परीक्षा लेकर ही उन्हें काम पर नियुक्त करना उचित है. परीक्षा में ही ज्ञान की सही पहचान होने के कारण बीएड की डिग्री होने के बावजूद भी शिक्षक बनने के लिए और कितने प्रयास करने चाहिए, यह पता चल जाएगा. आज के समय में छात्रों के साथ शिक्षकों को भी अपना ज्ञान बढ़ाते रहना जरूरी है. निजी स्कूल शिक्षकों पर विशेष ध्यान रखते हैं.
इस कारण इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ज्ञान के बारे में हमेशा सचेत रहते हैं, क्योंकि उनकी नौकरी उसी पर टिकी हुई रहती है. ज्ञान की बड़ी ताकत साथ में होने के कारण किसी टेस्ट का डर उन्हें नहीं रहता.
जयेश राणे, इमेल से