बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कब तक?
झारखंड में सर्वशिक्षा अभियान का हाल बुरा है. इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब देनी है. पर एक -दो वर्षो को छोड़ दिया जाये, तो सरकार समय पर किताब देने में कभी भी सफल नहीं रही. किताब देने के नाम पर कई गड़बड़ियां […]
झारखंड में सर्वशिक्षा अभियान का हाल बुरा है. इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब देनी है. पर एक -दो वर्षो को छोड़ दिया जाये, तो सरकार समय पर किताब देने में कभी भी सफल नहीं रही. किताब देने के नाम पर कई गड़बड़ियां की जाती रही हैं. शैक्षणिक वर्ष 2012-13 में काफी विलंब से बच्चों को किताबें दी गयी.
शैक्षणिक सत्र का लगभग एक-तिहाई समय निकल गया, तब बच्चों को किताबें मिलीं. बजट भी मनमाने तरीके से बढ़ा दिये गया. 2013-14 में एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से टेंडर की शर्तो में ही बदलाव कर दिया गया. वर्तमान शैक्षणिक सत्र में भी बच्चों को समय पर किताबें मिलने की उम्मीद काफी कम है. कारण बताया जाता है कि एक बार टेंडर रद्द हो गया है.
अब मई में नये सिरे से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जायेगी, इस स्थिति में अगस्त से पहले बच्चों को किताबें मिलना संभव नहीं लगता है. तब तक शैक्षणिक सत्र की करीब आधी अवधि निकल जायेगी. अब प्रश्न यह उठता है कि क्या झारखंड के बच्चों के भविष्य के साथ इसी तरह का खिलवाड़ किया जायेगा? सरकार क्या उन्हें बेहतर शिक्षा देने को कृतसंकल्प है? यह विडंबना ही है कि सरकार के पास बच्चों को किताब देने की कोई ठोस योजना नहीं है. सच तो यह है कि सरकार ने इस दिशा में कोई कैलेंडर ही नहीं बनाया है, जबकि अप्रैल से शैक्षणिक सत्र शुरू कर दिया जाता है.
हर बार किताब के नाम पर कोई न कोई विवाद उत्पन्न किया जा रहा है. मनमाने तरीके से भुगतान करने और किताबों के वितरण में विलंब करने के आरोप लगते रहे हैं. अब वर्ष 2013-14 में हुई गड़बड़ी की सीबीआइ जांच की सिफारिश की गयी है. फाइल सरकार के बड़े अधिकारियों के पास है. सीबीआइ जांच हुई, तो उम्मीद है सारी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी. बड़े घोटाले का परदाफाश हो सकता है.
जरूरत है, बस निष्पक्ष जांच की. यह तो सिर्फ एक पक्ष है, सर्वशिक्षा अभियान के तहत मध्याह्न् भोजन व पोशाक वितरण में भी गड़बड़ियों के कई आरोप लगते रहे हैं. इनकी भी निष्पक्ष जांच करायी जानी चाहिए, ताकि झारखंड की भावी पीढ़ी की शिक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके.