कांग्रेस विरोधी या भाजपा पक्षीय लहर?
किसी भी चुनाव में जब किसी की लहर की बात होती है तो वह किसी खास दल के समर्थन में या उसके विरोध में तभी होती है जब अप्रतिबद्ध मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो जाता है. इसका नजारा हम लोग 1977 और 1984 के चुनाव में देख चुके हैं. 1977 में जेपी आंदोलन के कारण और […]
किसी भी चुनाव में जब किसी की लहर की बात होती है तो वह किसी खास दल के समर्थन में या उसके विरोध में तभी होती है जब अप्रतिबद्ध मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो जाता है. इसका नजारा हम लोग 1977 और 1984 के चुनाव में देख चुके हैं. 1977 में जेपी आंदोलन के कारण और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से उपजी सहानुभूति की भावना के चलते कांग्रेस की क्रमश: हार और जीत हुई थी.
इन चुनावों के बाद देश में जो सरकारें बनी थीं, उनके पास देश का स्पष्ट जनादेश था. 2014 के चुनावों में भी भ्रष्टाचार, महंगाई और घोटालों की वजह से जनता कांग्रेस के खिलाफ नजर आती है. लेकिन मेरी समझ से 1977 और 2014 के चुनाव में एक स्पष्ट अंतर यह है कि उस समय कांग्रेस के विरोध में लहर थी और इस बार कांग्रेस के तोड़ के रूप में भाजपा के पक्ष में लहर है.
सूरजेश्वरी श्रीवास्तव, बरियातू, रांची