प्रद्युम्न मर्डर केस में सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में बस कंडक्टर अशोक को बेगुनाह बताया है. जबकि गुरुग्राम पुलिस ने बड़ी आसानी से एक बेकसूर आदमी को गुनाह कबूल करवा दिया था.
अब इसके बाद दो बातें सामने आती हैं, पहला, क्या किसी भी इंसान को उसके काम के प्रोफाइल से उसकी इमेज गढ़ लेनी चाहिए कि वह ही गलत हो सकता और दूसरा नहीं. दूसरी बात यह है कि हत्या का आरोपी जो कि एक 16 साल का लड़का है.
यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर नहीं करता है कि सिर्फ बच्चे को बड़े और महंगे स्कूल में एडमिशन दिला देने से बात नहीं बनेगी, जब तक उसे सही परिवेश न दिया जाये. उनकी संवेदनाओं को परिजन समझने की कोशिश नहीं करते कि आखिर बच्चा सीख क्या रहा है. जिस तरह से अशोक व उसके परिजनों को राष्ट्रीय मीडिया में प्रताड़ित किया गया, क्या प्रताड़ित करनेवाले अब माफी मांगेगे?
विशाल सिंह, मांडर,रांची