15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खान-पान की संस्कृति

खान-पान की विभिन्नता में भारत तो हमेशा से आगे रहा है, परंतु आज खान-पान की बदलती तस्वीर ने हमारी संस्कृति को भी बदल दिया है. हम पूड़ी-छोला नहीं खा कर पिज्जा, मैगी और चाउमिन को प्राथमिकता देने लगे हैं. चाय की जगह कैपेचिनो ने ले ली है. आज भारत के नुक्कड़ों पर आप को जलेबी, […]

खान-पान की विभिन्नता में भारत तो हमेशा से आगे रहा है, परंतु आज खान-पान की बदलती तस्वीर ने हमारी संस्कृति को भी बदल दिया है. हम पूड़ी-छोला नहीं खा कर पिज्जा, मैगी और चाउमिन को प्राथमिकता देने लगे हैं. चाय की जगह कैपेचिनो ने ले ली है.

आज भारत के नुक्कड़ों पर आप को जलेबी, चाट के ठेले कम, चाउमिन और पिज्जा की दुकान ज्यादा मिल जायेंगी. आज छप्पन भोग की जगह दो मिनट की मैगी ने ले ली. पहनावा और सोच के साथ-साथ हमारी थाली बदल चुकी है. आज जरूरत हैं कि हम अपने खान-पान की संस्कृति को बचा के रखें, नहीं तो इसका भी अस्तित्व खत्म हो जायेगा. इस विरासत को अगली पीढ़ी तक ले जाने की जरूरत है, ताकि वह इसे और आगे ले जा सके.

अमृता चतुर्वेदी, इमेल से

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें