दुश्मन को कम आंकने की भूल

झारखंड में गुरुवार को तीसरे चरण के मतदान के साथ ही यहां लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया. लेकिन, ‘अंत भला तो सब भला’ वाली कहावत चरितार्थ नहीं हो पायी. पहले दो चरण कमोबेश शांतिपूर्ण रहे, इसलिए उम्मीद जगी थी कि संताल परगना में चुनाव बिना हिंसा के संपन्न हो जायेगा. लेकिन ऐसा हो न सका. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2014 3:44 AM

झारखंड में गुरुवार को तीसरे चरण के मतदान के साथ ही यहां लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया. लेकिन, ‘अंत भला तो सब भला’ वाली कहावत चरितार्थ नहीं हो पायी. पहले दो चरण कमोबेश शांतिपूर्ण रहे, इसलिए उम्मीद जगी थी कि संताल परगना में चुनाव बिना हिंसा के संपन्न हो जायेगा.

लेकिन ऐसा हो न सका. दुमका के शिकारीपाड़ा में नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी की दो गाड़ियों को बारूदी सुरंग से उड़ा कर झारखंड में चुनाव के अंतिम चरण को रक्तरंजित कर दिया. इस एक घटना ने सुरक्षा को लेकर किये गये पुलिस-प्रशासन के तमाम इंतजामों पर पानी फेर दिया है. नक्सलियों ने पूरी योजना तैयार करके घटना को उस स्थान पर अंजाम दिया, जहां पुलिस की पहुंच सबसे कमजोर है. सुरक्षा और संचार तंत्र को लेकर भी उस इलाके में खालीपन है. पुलिस की तरफ से भी इसको लेकर किसी तरह की तैयारी नहीं थी.

नक्सलियों ने पुलिस की इसी लापरवाही का फायदा उठाया और बेखौफ होकर घटना को न केवल अंजाम दिया, बल्कि जवानों के हथियार भी लूट ले गये. हमले के चार घंटे बाद तक दुमका जिला प्रशासन से रांची स्थित राज्य पुलिस मुख्यालय तक सूचना नहीं पहुंच पायी. मौके पर अतिरिक्त बल घंटों बाद पहुंचा. कई घंटे तक शव वहीं पड़े रहे, घायल तड़पते रहे. अव्यवस्था का आलम यह था कि घायलों को लेने हेलीकॉप्टर पहुंचा ही नहीं. इस इलाके में 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भी नक्सलियों ने पुलिस को निशाना बनाया था. 10 महीने पहले ही नक्सलियों ने इसी इलाके में पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार सहित पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

जानकार बता रहे हैं कि शिकारीपाड़ा में नक्सली इसलिए कामयाब हुए क्योंकि पुलिस-प्रशासन ने संताल परगना को हल्के में लिया. यह सही है कि शेष झारखंड के मुकाबले इस प्रमंडल में नक्सलियों, उग्रवादियों की वैसी मौजूदगी नहीं है, पर यही निश्चिंतता भारी पड़ गयी. नक्सली पहले दो चरणों में अपने मजबूत इलाकों में खामोश रहे और रणनीतिक रूप से उन्होंने हमले के लिए तीसरे चरण का चुनाव किया. यह घटना एक सबक है. बेहतर होगा कि पुलिस-प्रशासन इससे सीख लेते हुए रणनीति तैयार करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.

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