नेता जी करोड़पति क्यों होते हैं.?
।। शकील अख्तर।। (प्रभात खबर, रांची) श्याम लाल जी ने गांव के स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी. अभी अभी कालेज में दाखिला हुआ था. इसी बीच चुनाव का मौसम आ गया. किसी ने वोटर लिस्ट में उनका नाम डलवा दिया. गांव के अकेले पढ़ाकू थे. इसलिए मुहल्ले में उनका दबदबा था. लोग […]
।। शकील अख्तर।।
(प्रभात खबर, रांची)
श्याम लाल जी ने गांव के स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी. अभी अभी कालेज में दाखिला हुआ था. इसी बीच चुनाव का मौसम आ गया. किसी ने वोटर लिस्ट में उनका नाम डलवा दिया. गांव के अकेले पढ़ाकू थे. इसलिए मुहल्ले में उनका दबदबा था. लोग बाग उनकी बात सुनते और समझते थे. मुहल्ले में उनका दबदबा देख कर हर दल के ठेकेदार प्रचारक सुबह शाम श्याम लाल जी के इर्द-गिर्द मंडराने लगे. कोई हलवाई की दुकान पर चाय पिलाने तो कोई अकेले में खास बात करने की पेशकश करता.
श्याम लाल जी भी अपनी बुद्धिमत्ता पर फूले नहीं समाते. एक दिन पास की हलवाई की दुकान पर एक प्रचारक ने चाय पिलायी और मन की बात कह डाली. कहा फलां को वोट दें. मुहल्ले में लोगों को समझायें कि वे भी उसी को वोट दें. इतना सुनते ही श्याम लाल जी ने आखें तरेरीं. भौंवे तानी और बोल पड़े ’ मैं पहले हर उम्मीदवार की पूरी पूरी जानकारी लूंगा. देखूंगा कि कैसा है. किसी को सताने, किसी का दिल दुखाने और किसी का माल हजम करने में तो शामिल नहीं? श्याम लाल जी की बात सुन कर प्रचारक चौंका. धीरे से कहा ‘ हां जी, जांच परख लेना’.
इतना कह कर वह धोती समेट कर चलता बना. श्याम लाल जी उम्मीदवारों की जांच पड़ताल की कसम खाते हुए अपने घर पहुंचे. बहुत सोचा समझा. फिर अखबार मंगाना शुरू किया ताकि उम्मीदवारों का कच्च-चिठ्ठा पढ़ सकें. सुबह उठ कर अखबार वाले के इंतजार में बैठे रहते. अखबार हाथ में आते ही ऐसे खुश होते मानो कोई खजाना मिल गया हो. अखबार मिलने में देर हो, तो बैठक कर अखबार वालों को कोसते रहते. अखबार मिलते ही उम्मीदवारों का कच्च चिठ्ठा पढ़ने लगते. अखबार पढ़ने के साथ-साथ श्याम लाल जी की परेशानियां बढ़ती भी जा रही थीं. किसी उम्मीदवार पर हत्या का केस था, तो कोई अभी-अभी जमानत पर जेल से छूटा था. ढेरों उम्मीदवार करोड़पति थे.
श्याम लाल जी हत्या करने और जमानत पर जेल से छूटने की बात तो समझ पाते थे. लेकिन करोड़पति होने की बात उनकी समझ में नहीं आ रही थी. अपने घर में एक साथ हजार से ज्यादा रुपये नहीं देखे थे. करोड़ कितना होता होगा. और नेता जी करोड़पति क्यों होते हैं? यह उनके समझ में नहीं आ रहा था. बहुत कोशिश की. गहन चिंतन के बाद भी उन्हें अपने सवाल का जवाब नहीं मिला. अचानक उनकी बुद्धि जागी. सोचा क्यों ना गांव के सर्वमान्य दादा जी से जवाब पूछा जाये. सुबह उठते ही अखबार का इंतजार किये बिना ही श्याम लाल जी दादा जी के पास आ धमके .
प्रणाम किया और सवाल दागा. दादा जी आप ही बतायें कि ये नेता करोड़पति क्यों होते हैं. दादा जी ने आंखें बंद की और दार्शनिक अंदाज में कहा ‘ बेटा, तुम ने सुना नहीं फलदार पेड़ ही फल देते है हैं.’ अगर नेता जी गरीब होंगे तो देश की जनता को क्या देंगे. इसलिए उनका करोड़पति होना जरूरी है.