यह सुरक्षा में कोताही का मामला है
बड़े दुख की बात है कि दुमका जिले में 24 अप्रैल को मतदान करा कर लौट रहे दो मतदानकर्मियों, वाहन के एक खलासी और पांच जवानों की नक्सलियों के बारूदी सुरंग विस्फोट में मौत हो गयी. यह घटना प्रशासनिक विफलता का परिणाम है. वास्तव में मतदानकर्मियों के प्रशिक्षण के दौरान चाक-चौबंद सुरक्षा से लेकर रहने-खाने […]
बड़े दुख की बात है कि दुमका जिले में 24 अप्रैल को मतदान करा कर लौट रहे दो मतदानकर्मियों, वाहन के एक खलासी और पांच जवानों की नक्सलियों के बारूदी सुरंग विस्फोट में मौत हो गयी. यह घटना प्रशासनिक विफलता का परिणाम है. वास्तव में मतदानकर्मियों के प्रशिक्षण के दौरान चाक-चौबंद सुरक्षा से लेकर रहने-खाने की व्यवस्था के बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं.
लेकिन जब मतदानकर्मी मतदान केंद्र पर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि अपवादों को छोड़ कर न शौचालय की व्यवस्था है और न पीने के पानी का इंतजाम. दरअसल सारे मतदानकर्मी मजबूरी में मतदान कराने जाते हैं. गहराई से विचार करें तो इस घटना में कई खामियां दिखाई देती हैं. यह सुरक्षा में कोताही का ही मामला है और अगर पर्याप्त पुलिस बल मतदानकर्मियों के साथ रहता तो वे बेमौत न मारे जाते.
धर्मपाल निर्धन, ई-मेल से