अच्छे दिन आयेंगे अगर यकीन हो

।। दक्षा वैदकर ।। प्रभात खबर, पटना इन दिनों टीवी पर जो विज्ञापन आ रहे हैं, उन्हें देख कर लगता है कि अच्छे दिन सचमुच आने वाले हैं. इतना जोर-शोर से यह प्रचार किया जा रहा है कि अब इस पर चुटकुले भी बनने लगे हैं. जैसे- ‘16 मई के बाद कामवाली बाई भी समय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2014 4:26 AM

।। दक्षा वैदकर ।।

प्रभात खबर, पटना

इन दिनों टीवी पर जो विज्ञापन आ रहे हैं, उन्हें देख कर लगता है कि अच्छे दिन सचमुच आने वाले हैं. इतना जोर-शोर से यह प्रचार किया जा रहा है कि अब इस पर चुटकुले भी बनने लगे हैं. जैसे- ‘16 मई के बाद कामवाली बाई भी समय पर आने लगेगी. तेल मिलावटी होगा, तो भी गाड़ी शानदार एवरेज देगी. लड़कियां छोटे कपड़े पहने हुए अकेली सड़कों पर दिखेंगी. परीक्षा में आपके आगे-पीछे बैठनेवाले भी पढ़ कर आयेंगे. नाली-गटर कल-कल बहेंगे. आवारा कुत्ते रैबीज का इंजेक्शन लगवाने खुद हैदराबाद कंपनीवालों के पास पहुंच जायेंगे. पड़ोसी के बच्चों से आपके बच्चों को ज्यादा नंबर आयेंगे.’

टीवी के विज्ञापन देख यह कहा जा सकता है कि लोगों को एक अच्छी जिंदगी के सपने दिखाये जा रहे हैं. लोग भी इन सपनों को आंखों से दूर होने नहीं देना चाहते. कुछ लोग हैं, जो ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ से इत्तेफाक नहीं रखते. वे कह रहे हैं कि झूठे सपने मत दिखाओ. तीन पक्ष हैं- 1. अच्छे दिन लाने का दावा करनेवाले, 2. इस पर विश्वास करने वाले और 3. इस पर विश्वास न करनेवाले. इन तीनों को देख कर मुङो नाना पाटेकर की फिल्म ‘थोड़ा-सा रूमानी हो जायें’ याद आती है.

इसमें नाना दावा करते हैं कि आप मुङो पांच हजार रुपये दो, मैं 48 घंटे के अंदर बारिश करवाऊंगा. नायिका के पिता जिनके खेत बारिश न होने की वजह से सूख रहे हैं, इस सपने पर यकीन कर उसे रुपये दे देते हैं, लेकिन नायिका विश्वास नहीं करती. 48 घंटे बीतने को होते हैं. अचानक जोरों की बारिश होने लगती है. ऐसा नहीं है कि यह बारिश धूमकेतु बारिशकर बने नाना पाटेकर ने करवायी. यह बारिश हुई थी एक विश्वास की वजह से. एक सकारात्मक सोच की वजह से. एक तीव्र इच्छा की वजह से.शायद लोगों के सपने इतने मजबूत थे कि बारिश को भी आखिरकार आना ही पड़ा.

फिल्म में नायिका बारिश का श्रेय नाना पाटेकर को देती है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या सचमुच उसी ने बारिश करवायी? अगर वह उस शहर में नहीं आता, तो क्या बारिश नहीं होती? क्या उसके सपने दिखाने की वजह से यह मुमकिन हुआ? क्या सचमुच उसके गीत में इतना दर्द था कि गीत सुन बादल भी रोने लगे और बारिश हो गयी? वैसे रोंडा बर्न की किताब ‘द सीक्रेट’ ने इस बात को कई तरह से सिद्ध किया है कि जब हम कोई चीज बहुत दिल से चाहते हैं, तो वह चीज हमें मिल जाती है. हमें बस नकारात्मकता से दूर रहना है. दिमाग में यह विचार नहीं लाना है कि कुछ बुरा होने वाला है. किसी पार्टी का आप समर्थन करें या न करें, पर भविष्य में सभी के साथ अच्छा हो, इसकी प्रार्थना तो कर ही सकते हैं. अंत में एक सुझाव. आप नाना पाटेकर की इस फिल्म को जरूर देखें. अगर देख चुके हैं, तो दोबारा देखें और इस बात पर विचार करें.

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