अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म पैड मैन एक सकारात्मक सोच को प्रस्तुत करती है. माहवारी एक ऐसा विषय है, जिस पर समाज चुप्पी साधे है. ऐसे में इस विषय पर फिल्म लाना किसी क्रांति से कम नहीं है.
आज भी इस विषय को हेय दृष्टि से देखा जाता है. समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं. माहवारी कोई पाप नहीं है, जो इसे अजूबे की तरह समझा जाये. महिलाओं के स्वास्थ्य का यह एक गंभीर मुद्दा है. हर वर्ष हजारों-लाखों महिलाएं संक्रमण की वजह से गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं और लोक-लाज की वजह से चुप्पी साध लेती हैं.
ऐसे में यह फिल्म एक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगी. सरकार को चाहिए कि इस फिल्म को टैक्स फ्री करे, ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग इसे देखें और माहवारी से संबंधित उनकी भ्रांतियां दूर हों. बॉलीवुड प्रेरणा का सबसे बेहतर माध्यम माना जाता है. ऐसे में यह फिल्म लोगों की सोच बदलेगी और उन्हें जागरूक करेगी.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, इमेल से