देर आये दुरुस्त आये
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव के लिए उनके जीवन का सबसे दुखद दिन रहा, जब अदालत ने उन्हें चारा घोटाले में दोषी पाये जाने पर तीन साल छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है. अदालत का यह फैसला पार्टी के नेताओं एवं उनके चाहने वालों के लिए तो दुखद है […]
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव के लिए उनके जीवन का सबसे दुखद दिन रहा, जब अदालत ने उन्हें चारा घोटाले में दोषी पाये जाने पर तीन साल छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है.
अदालत का यह फैसला पार्टी के नेताओं एवं उनके चाहने वालों के लिए तो दुखद है ही, देश के उन नेताओं के लिए चिंता का विषय है, जो किसी न किसी घोटाले में लिप्त हैं. यह उनके लिए भी एक सबक है, जो इस प्रकार की मानसिकता लिये देश के उद्धार की बात करते हैं. अदालत के इस कदम से देश के नागरिकों का कानून से उठता हुआ भरोसा भी वापस होगा.
इस फैसले ने साबित कर दिया है कि कानून के हाथ सच में लंबे होते हैं, जो थोड़ी देर से ही सही, लेकिन सही अंजाम तक पहुंच सकते है, फिर चाहे आप कितने ही पैसे और पावर वाले क्यों न हों? लेकिन मन में शंका लगी रहती है कि क्या इस देश के नेता इससे कुछ सीख लेंगे? क्या उन नेताओं का नंबर आयेगा, जो लालू जी से भी अधिक गबन के आरोपी हैं?
असलम आजाद, महगामा