एफडीआइ की मंजूरी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ पर किये गये बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है. निर्माण क्षेत्र, एविएशन एवं सिंगल ब्रांड रिटेल को सौ फीसद की मंजूरी दी गयी है. सौ प्रतिशत तो इसी सरकार ने पहले भी कर रखा था, मगर इक्विटी की सीमा को 49% पर ही रखा गया था. अब इसे […]
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ पर किये गये बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है. निर्माण क्षेत्र, एविएशन एवं सिंगल ब्रांड रिटेल को सौ फीसद की मंजूरी दी गयी है. सौ प्रतिशत तो इसी सरकार ने पहले भी कर रखा था, मगर इक्विटी की सीमा को 49% पर ही रखा गया था.
अब इसे बढ़ाने के लिए किसी प्रकार की अनुमति की दरकार नहीं है. सिर्फ आरबीआइ एवं सरकार को सूचित करना होगा. इन कदमों से देश तरक्की करता है, तो बहुत अच्छी बात है. मगर क्या इसका फायदा देश के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंच पायेगा? सभी को मालूम होगा कि यही राष्ट्रवादी लोग इस तरह के फैसले पर कैसे तांडव किया करते थे.
स्वदेशी जागरण मंच तो खुलकर इसका विरोध करना शुरू भी कर दिया है. यह नूराकुश्ती ही लग रही है. विकास दर दोहरे अंक का हो जायेगा, यह सब सुनने में तो अच्छा लग रहा है. मगर क्या इससे करोड़ों बेरोजगार हाथों को काम मिलेगा? यह प्रश्न सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से