हिंसा ही अंतिम रास्ता नहीं

पदमावत फिल्म पर विवाद पूरे देश में फैल चुका है. करणी सेना ने देश में अनेक क्षेत्रों में जाम लगाकर आगजनी और तोड़फोड़ की है. इससे देश को करोड़ों का नुकसान हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म को हरी झंडी दे दी है. सेंसर बोर्ड अपने हिसाब से जरूरी बदलाव के बाद फिल्म के प्रदर्शन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2018 5:27 AM
पदमावत फिल्म पर विवाद पूरे देश में फैल चुका है. करणी सेना ने देश में अनेक क्षेत्रों में जाम लगाकर आगजनी और तोड़फोड़ की है. इससे देश को करोड़ों का नुकसान हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म को हरी झंडी दे दी है.
सेंसर बोर्ड अपने हिसाब से जरूरी बदलाव के बाद फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत दे दी. इसके बाद भी करणी सेना को इसके रिलीज होने पर आपत्ति है, तो उसे विरोध करना चाहिए, मगर इसके लिए हिंसा ही एम मात्र उपाय नहीं है. विरोध के के बहाने देशभर में बवाल मचाया जा रहा है. कुछ इलाकों में बसें बंद कर की गयी हैं.
लोग जहां-तहां पीटे जा रहे हैं. आतंक का माहौल पैदा किया जा रहा है. आखिर ऐसा क्यों? विरोध के और भी रास्ते हैं. तोड़फोड़ ,आगजनी और मारपीट जैसी घटनाओं से ही किसी विषय का विरोध नहीं किया जाना चाहिए. इससे व्यक्ति, समाज और देश, सभी को नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए पद्मावत का विरोध करने वालों को अपने तरीकों पर विचार करना चाहिए.
कांतिलाल मांडो , इमेल से.

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